ग्वालियर। कुछ बड़ी घटनाएं तो केवल इसलिए घटित हो जाती हैं क्योंकि पुलिस अपने फिक्स फार्मूले पर काम करती है और फरियादी पर ही दोषारोपण करके उसे चुप करा दीजिए। भिंड में 19 अक्टूबर को 15 साल की छात्रा का अपहरण हो गया था। लड़की की उम्र के हिसाब से पुलिस इसे प्रेम प्रसंग का मामला मान रही थी। लड़की के पिता ने व्यक्तिगत स्तर पर जांच पड़ताल की और लड़की की डेड बॉडी मिल गई। यदि पुलिस समय पर एक्टिव हो जाती तो शायद लड़की जिंदा होती।
लड़की के पिता ने बताया कि, दिनांक 19 अक्टूबर को उनकी बेटी स्कूल के लिए निकली थी। फिर वापस नहीं लौटी। हम उसकी निजी स्तर पर तलाश कर रहे थे। बेटी की साइकिल 22 अक्टूबर को मिली थी। दूसरे दिन मैं और मेरे दो रिश्तेदार खेतों पर तलाश के लिए सुबह पहुंचे। जब खेतों पर चले तो सुबह घास पर ओस की बूंदे पड़ी थी। इस ओस की बूंदों पर कोई चलकर गया। इसके निशान मिले। इन निशानों को देख मन में शक गहराया और पैरों के निशानों के पीछे पीछे गया।
इसके बाद गांव वालों का एक कुआं था वहां जा पहुंचे। मिट्टी में पैर खराब हो गए थे। कुएं के हौद में हम तीनों लोग पैर धोने गए तो वहां बेटी का स्कूल बैग मिला। पास में खड़ी बाजरे की फसल बिखरी हुई थी। शक गहराया। इस पर फसल के अंदर जाकर देखा तो बेटी का शव पड़ा था। पोस्टमार्टम के बाद डॉक्टरों ने बताया कि लड़की की हत्या करने से पहले उसके साथ दुष्कर्म किया गया था।
पीड़ित पिता ने बताया कि, बेटी 19 अक्टूबर की सुबह जब निकली थी उसके बाद वो वापस नहीं लौटी। उसके बाद आरोपी (जोकि मेरे कुटुम्ब का सदस्य है) का चेहरा उदास था। कुछ क्षणों के लिए दिमाग में आया। ये इतना टेंशन में क्यों है? फिर लगा कि परिवार का लड़का है दु:खी होगा। पीड़ित पिता का कहना है कि मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि मेरे कुटुम्ब का ही लड़का, मेरी बेटी की हत्या कर सकता है। हर रोज का आना जाना घर पर चौबीस घंटे रहना।