एसिड अटैक पीड़ित महिला को इलाज से मना करना कितना गंभीर अपराध है, जानिए- Legal advice

दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा,1973 की धारा 357(ग) ऐसिड पीड़ित एवं बलात्संग से पीड़ित महिलाओं के इलाज के लिए एक महत्वपूर्ण हथियार है। इसकी जानकारी होना सभी आम नागरिकों के लिए आवश्यक है क्योंकि एक जागरूक नागरिक ही पीड़ित व्यक्ति की मदद कर सकता है। यदि कोई अस्पताल इलाज से इंकार करता है तो कृपया उसे विनम्रता पूर्वक याद दिलाएं कि वह अपराध कर रहा है।

CCP 1973 की धारा 357(ग) किस प्रकार के अस्पतालों पर लागू

CCP 1973 की धारा 357(ग) सभी सरकारी अस्पताल या प्राइवेट अस्पताल चाहे वह केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार, या स्थानीय निकाय या किसी भी अन्य व्यक्ति द्वारा चलाये जा रहे हो किसी भी प्रकार से ऐसिड पीड़िता, किसी प्रकार से बलात्कार की शिकार महिलाओं का तुरंत बिना देर किए हुए निःशुल्क इलाज करेगी एवं सभी प्रकार के चिकित्सीय उपचार उपलब्ध कराएंगे एवं ऐसी घटना की सूचना तुरंत पुलिस अधिकारी को देगे।

यदि डॉक्टर एसिड अथवा बलात्कार पीड़ित महिला का इलाज करने से मना करे तो..

अगर कोई भी दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 357(ग) का उल्लंघन करता है तब इसके लिए दण्ड का प्रावधान भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 165(ख) के अंतर्गत यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होगा एवं इसकी सुनवाई का अधिकार प्रथम वर्ग के मजिस्ट्रेट को हैं। सजा- इस अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को एक वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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