GWALIOR NEWS- कोरोना पीड़ित बच्चे को दिमागी बुखार बता इलाज किया, मौत, हाई कोर्ट नाराज

Bhopal Samachar
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ग्वालियर
। जबलपुर स्थित मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य मुख्यपीठ ने ग्वालियर में कोरोना संदिग्ध बच्चों की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थाओं को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए 5 दिन के भीतर व्यवस्थाएं सुधारने के आदेश दिए हैं। एडवोकेट संगीता पचौरी ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए हाई कोर्ट को बताया कि कोरोना संक्रमित बच्चे को दिमागी बुखार से पीड़ित बताकर इलाज करते रहे, जिससे उसकी मौत हो गई।

एक पलंग पर एक से अधिक बच्चे भर्ती नहीं हो सकते: हाई कोर्ट

हाईकोर्ट की मुख्यपीठ जबलपुर ने हेल्थ डिपार्टमेंट को ग्वालियर के कमला राजा हॉस्पिटल (केआरएच) में व्यवस्थाओं में सुधार लाने को कहा है। केआरएच में पिछले दिनों दिमागी बुखार और दूसरी बीमारियों से बच्चों की मौत और एक बेड पर 2 से 3 बच्चे भर्ती होने के मामले में कोर्ट ने यह आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने कहा है कि 5 दिन में जयारोग्य अस्पताल के कमला राजा हॉस्पिटल के बाल एवं शिशु विभाग के हालात सुधारें। बच्चों को अलग-अलग बेड पर ही भर्ती किया जाए। आदेश के बाद क्या सुधार किए गए हैं, इसकी रिपोर्ट पांच दिन में पेश करने के आदेश दिए हैं। अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होनी है। 

बीमार बच्चों की कोरोना जांच नहीं कराई जा रही है: एडवोकेट संगीता पचौरी

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश एडवोकेट संगीता पचौरी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। एडवोकेट संगीता पचौरी ने याचिका में कहा है कि इस समय एक ओर जहां कोविड का खतरा अभी टला नहीं है, वहीं बच्चों को वायरल एवं दिमागी बुखार के नाम पर अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है। एक बिस्तर पर तीन-तीन बच्चों को भर्ती किया जा रहा है। जो कि इन बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ है। बीमारियों की वजह से बच्चों की मौत भी हो रही है। इसे लेकर जिला प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन के गंभीर नहीं होने से हालात बिगड़ सकते हैं।

ग्वालियर में भी बेंगलुरु जैसे हालात हो सकते हैं: याचिकाकर्ता

याचिका में कहा गया कि बेंगलुरु में एक ही स्कूल में बड़ी संख्या में बच्चों के पॉजिटिव होने का मामला सामने आने के बाद भी प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। अस्पतालों में जिस प्रकार के हालात हैं, उससे ग्वालियर में भी बेंगलुरु जैसे ही हालात बन सकते हैं, इसलिए बच्चों की कोविड जांच भी जरूर होना चाहिए। इस याचिका को ग्वालियर पीठ ने सुनवाई के लिए जबलपुर भेज दिया था। अस्पताल के फोटोग्राफ और अन्य रिपोर्ट को देखते हुए न्यायालय ने इसे गंभीर मुद्दा माना है। 

कोविड पीड़ित बच्चे को दिमागी बुखार बताकर इलाज करते रहे

एडवोकेट संगीता ने 11 साल की बच्ची की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पेश की। बताया-बच्चे को कोविड था, लेकिन उसे दिमागी बुखार का इलाज देते रहे। यदि बच्चों को दिमागी बुखार हो रहा है, तो उसकी पहले जांच होनी चाहिए। बिना जांच के इलाज न दिया जाए। किसी को भी ब्लड चढ़ाना शुरू कर रहे हैं, जिससे तबियत और बिगड़ रही है। अस्पताल में उपचार की ठीक व्यवस्था नहीं है। बेड बढ़ाने की जरूरत है। यदि सरकारी में व्यवस्था नहीं है तो प्राइवेट अस्पतालों को हायर किया जाए। डेथ का कारण पता होना चाहिए, जिससे अंचल में पता रह सके कि कौन सी बीमारी चल रही है।

ग्वालियर में हुई थी 6 बच्चों की मौत

ग्वालियर के जयारोग्य हॉस्पिटल के केआरएच में बाल एवं शिशु वार्ड में पिछले सप्ताह तक यह हाल था कि यहां 36 बेड पर 80 से 85 बच्चे भर्ती थे। एक बेड पर तीन-तीन बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा था। इसके बाद एक सप्ताह में यहां 6 बच्चों की अलग-अलग बीमारियों के कारण मौत हुई थी। इसको लेकर क्षेत्रीय विधायक व कांग्रेस नेता प्रवीण पाठक ने भी निरीक्षण कर नाराजगी जताई थी।

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