मध्यप्रदेश में मंदिरों के चढ़ावे से सरकारी योजनाओं को फंडिंग, कमिश्नर राजीव शर्मा का आईडिया - MP NEWS

भोपाल
। शहडोल संभाग के कमिश्नर राजीव शर्मा का कहना है कि मंदिरों के दानपात्र में प्राप्त होने वाले चढ़ावे से कल्याणकारी सरकारी योजनाओं को फंडिंग की जानी चाहिए। इसके लिए उमरिया जिले में प्रयोग किया जा रहा है। उमरिया के 2 सर्वाधिक प्रसिद्ध मंदिरों (बिरसिंहपुर पाली स्थित मां भवानी बिरासिनी देवी का मंदिर और ग्राम उचेहरा में स्थित माता ज्वाला देवी का मंदिर) में प्राप्त होने वाले चढ़ावे की राशि का उपयोग कुपोषण मिटाने के लिए किया जाएगा। 

कमिश्नर राजीव शर्मा के सुझाव पर जिला प्रशासन ने योजना बनाने बात कही है। अधिकारियों का कहना है कि मंदिर ट्रस्ट की राशि का उपयोग कुपोषण मिटाने के लिए किया जा सकता है। कलेक्टर एवं बिरासिनी माता मंदिर के पदेन अध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव का कहना है कि इस संबंध में कमिश्नर से उनकी चर्चा हुई है और उन्होंने कमिश्नर की सलाह पर कुछ बेहतर करने की बात कही है। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में गंभीरता से विचार किया जा रहा है और जल्द ही पूरी योजना बना ली जाएगी। 

निर्धन और कुपोषितों के लिए प्रतिदिन भंडारा होता है 

भंडारी सिंह, पुजारी एवं प्रबंधक उचेहरा धाम का कहना है कि कल्याण के कार्य होते रहने चाहिए और सभी धर्मों के लोगों को मिलकर करना चाहिए। इसी भावना के साथ ज्वाला देवी मंदिर में प्रतिदिन भंडारे का आयोजन किया जाता है जिसमें समाज के सभी वर्गों के लोग भोजन प्राप्त करते हैं। यह भी कुपोषण दूर करने का एक तरीका है।

मंदिरों के साथ सभी धार्मिक स्थलों का योगदान होना चाहिए: अध्यक्ष गो-पालन संवर्धन बोर्ड

महामंडलेश्वर अखिलेश्वरानंद गिरि, अध्यक्ष गो पालन संवर्धन बोर्ड, मप्र शासन का कहना है कि प्रशासन की पहल सराहनीय है, लेकिन अन्य संप्रदाय के धर्माचार्यों को भी आगे आकर इस पहल का अनुसरण करना चाहिए। कुपोषित या दिव्यांग सभी संप्रदायों में पाए जाते हैं।

शिक्षा और चिकित्सा सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है 

प्रोफेसर एस पुरुषोत्तम पिंपले का कहना है कि शिक्षा और चिकित्सा सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है। इसी काम के लिए जनता द्वारा टैक्स दिया जाता है। कुपोषण एक बीमारी है। इससे लड़ना सरकार का काम है। यदि टैक्स की रकम कम पड़ रही है तो उद्योगपतियों पर टैक्स बढ़ाया जा सकता है। उनसे अतिरिक्त दान प्राप्त किया जा सकता है लेकिन मंदिरों के चढ़ावे से सरकारी योजनाओं का संचालन प्रथम दृष्टया उचित नहीं माना जा सकता। 

मंदिर के चढ़ावे से यज्ञ जैसे पर्यावरण शुद्धि के आयोजन होनी चाहिए

धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं अपनी क्षमता और योजना के अनुसार जनहित के काम करते ही हैं। उन्हें किसी सरकारी योजना में फंडिंग के लिए बाध्य किया जाना अनुचित होगा। तमाम प्रकार के जानलेवा वायरस से आम नागरिकों को बचाने और पर्यावरण की शुद्धि के लिए बड़ी संख्या में यज्ञ होना अनिवार्य है। सरकारी दस्तावेजों में यज्ञ को महत्व नहीं दिया गया है। मंदिर के चढ़ावे का उपयोग प्रतिदिन नियमित रूप से यज्ञ के लिए किया जाना चाहिए ताकि लोगों को वायरस से बचाया जा सके।

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