पढ़िए पशुओं के साथ किस प्रकार का व्यवहार किसी को जेल पहुंचा सकता है - Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960

पशु क्रुरता निवारण अधिनियम, 1960 के अंतर्गत पशु शब्द से अर्थ होता है, मानव प्राणी को छोड़कर सभी प्रकार के जीवधारी परंतु जंगल में रहने वाले पशुओं और जानवरों पर यह अधिनियम प्रभावी नहीं होगा। 

इस धारा के अंतर्गत आने वाले पशु निम्न हैं:- पालतू एवं आवारा पशुओं से जैसे- गाय, बैल, भैस, बोदा, बकरियां, कुत्ते, बिल्ली, घोड़ा, एवं सर्कस के जानवर (इसमे चीता, शेर, वाघ, हाथी आदि वन्य जानवर भी हो सकते हैं) आदि आते हैं। इस अधिनियम की धारा- 3 के अनुसार पशुओं को रखने वाले व्यक्ति का कर्तव्य होगा कि वह पशुओं की भलाई सुनिश्चित करने हेतु किसी भी पशु को अनावश्यक कष्ट या यातना को निवारण करने हेतु युक्तियुक्त उपाय करें।

पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11 की परिभाषा:-

यदि कोई व्यक्ति या पशु मालिक :-
किसी भी प्रकार के पशुओं को लाठी मारता है, कुचलता (लात मरता) हैं, ज्यादा बोझ लादता हैं, यातनाएं देता है, गलत व्यवहार करता है, कष्ट देता है या मालिक होकर किसी व्यक्ति से अर्थात चरवाहे को उपर्युक्त यातनाओं की अनुमति देता है अथवा आदेशित करता है तब पशु क्रूरता का अपराधी होगा।

अगर कोई पशु का मालिक स्वयं के पशु को आवारा छोड़ देता है या उसका इलाज नहीं करवाता है या उसे भूखा-प्यासा रखता है या बीमार होने पर उसे भगा देता है या पागल होने पर कुत्ते जैसे जानवरों को मरवा देता है तब ऐसा व्यक्ति पशु क्रूरता के अपराध का दोषी होगा।

अगर कोई व्यक्ति भटकते कुत्तों अर्थात आवारा कुत्तों सहित किसी पशु को जहर का इंजेक्शन देगा या क्रूर तरीके से उसे मारेगा या जान से मार डालेगा तब वह व्यक्ति अधिनियम की धारा-11 के अनुसार अपराध करेगा।

अगर कोई व्यक्ति दुधारू पशु को किसी सत्व के इंजेक्शन सहित कोई अन्य क्रिया स्तन में दुग्ध संचय में वृद्धि हेतु करता है जो पशु के लिए हानिकारक हो वह अपराध होगा।

अगर किसी पशुओं को मनोरंजन के लिए रखता है एवं उसके साथ क्रुरता का व्यवहार करता है या प्रतियोगिता में भाग लेते समय उससे क्रूरता करता है अर्थात पशु को उकसाता हैं तब यह अपराध होगा।

पशु क्रुरता निवारण अधिनियम, 1960, की धारा 31 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

यह सभी अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं, इनकी सुनवाई कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकता है। सजा- इन अपराधों में कम से कम दस रुपए से लेकर 2 हजार रुपये तक का जुर्माना या अधिकतम 3 वर्ष की कारावास या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।  :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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