भारतीय संविधान में कहां लिखा है न्यूनतम मजदूरी का अधिकार - THE CONSTITUTION OF INDIA

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अधीन "प्राण, शब्द का अर्थ पशुवत जीवन से नहीं है वरन मानव जीवन से है। इसका भौतिक अस्तित्व ही नहीं वरन आध्यात्मिक अस्तित्व भी है। प्राण का अधिकार शरीर के अंगों का संरक्षण तक ही सीमित नहीं है जिससे जीवन का आनंद मिलता हैं या आत्मा बाहर जीवन से सम्पर्क स्थापित करती है वरन इसमें मानव गरिमा के साथ जीने का अधिकार भी सम्मिलित है जो मानव-जीवन को पूर्ण बनाने के लिए आवश्यक है।

पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइटस बनाम भारत संघ:-

【न्यूनतम मजदूरी प्राप्त करना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है】- मामले में उच्चतम न्यायालय ने अपने ऐतिहासिक निर्णय में यह अभिनिर्धारित किया कि एशियाड खेलों की विभिन्न योजनाओं में कार्यरत मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी का भुगतान न करना अनुच्छेद 21 द्वारा प्रदत्त उनके 'मानव गरिमा, के साथ जीविकोपार्जन के अधिकार का भी उल्लंघन करना है।

न्यायाधिपति श्री भगवती जी ने बहुमत का निर्णय सुनाते हुए यह अभिनिर्धारित किया है कि विभिन्न श्रम-विधियों के अधीन कर्मकारों को प्रदत्त अधिकार और सुविधाये मानव गरिमा को सुरक्षित रखने के लिए प्रदान किये गये है। यदि इनसे उन्हें वंचित किया जाता है तो वह अनुच्छेद- 21 का उल्लंघन होगा।

एशियाड योजनाओं में कार्य करने वाले श्रमिकों को 9 रुपये न्यूनतम मजदूरी दिया जाना था, किन्तु ठेकेदारों के जमादारों ने उन्हें केवल 8 रु. मजदूरी दी ऒर प्रति श्रमिक एक रुपया कमीशन काट लिया। न्यायालय ने इसे अवैध घोषित कर दिया, क्योंकि न्यूनतम मजदूरी न दिये जाने से श्रमिकों के अनुच्छेद 21 के अधीन '' मानव-गरिमा से जीविकोपार्जन के अधिकार का उल्लंघन होता है।,:- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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