MP NEWS- सजायाफ्ता शिक्षक को जेल अवधि में वेतन मंजूर, जॉइनिंग भी दे दी

भोपाल
। बच्चों को सही गलत का पाठ पढ़ाने वाले शिक्षा विभाग में क्या-क्या गलत हो सकता है इसका अनुमान कोई नहीं लगा सकता। मध्यप्रदेश के भिंड जिले में सजायाफ्ता शिक्षक को जेल में बिताई गई 3 महीने की अवधि का वेतन मंजूर कर लिया गया। वह जेल से पैरोल पर बाहर आया था लेकिन उसे डिपार्टमेंट में जॉइनिंग दे दी गई। जबकि इस मामले में शिक्षक को बर्खास्त किया जाना चाहिए था। जिला शिक्षा अधिकारी का तुर्रा देखिए, कहते हैं कोर्ट ने उन्हें लिखित में सूचित नहीं किया।

मामला भिंड जिले के अटेर विकास खंड के सरकारी हाईस्कूल लावन का है। शिक्षक राजेश बाबू त्रिपाठी पुत्र लालता प्रसाद निवासी मधैयापुरा अटेर हाल अशोक कॉलोनी पर आरोप है कि उन्होंने दूर की रिश्तेदार सीमा प्रवेश चतुर्वेदी से शिक्षा विभाग में नौकरी लगवाने के नाम पर डिग्री एवं अन्य डाक्यूमेंट्स ले लिए और फिर सीमा चतुर्वेदी के दस्तावेजों के आधार पर अपनी पत्नी क्रांति देवी को संविदा शिक्षक वर्ग 3 की नौकरी दिला दी। पत्नी क्रांति देवी भी खुद को सीमा चतुर्वेदी बताकर नौकरी करने लगी।

जब सीमा चतुर्वेदी को पता चला कि उसके नाम पर कोई और नौकरी कर रहा है तो उन्होंने शिक्षा विभाग सहित पुलिस से भी इसकी शिकायत की। गोहाद चौराहा थाने में राजेश और उसकी पत्नी कांति देवी के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ। कोर्ट ने फरवरी 2021 में दोनों को 7-7 साल की सजा और पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया।

अफसरों से साठगांठ करके फिर ज्वॉइनिंग
राजेश त्रिपाठी को जेल होने के बाद करीब तीन महीने तक जेल में रहा। इसी दौरान कोरोना संक्रमण फैलने पर उसे 5 मई को जेल से पैरोल मिल गई। विभागीय सूत्रों के मुताबिक जैसे ही आरोपी पैरोल पर बाहर आया, आरोपी ने मेडिकल लीव का सार्टिफिकेट लगाकर नौकरी ज्वाइन कर ली। इसके बाद 3 महीने की सैलेरी डेढ़ लाख रुपए के लिए एप्लिकेशन दिया। कहा तो यह भी जा रहा है कि डिपार्टमेंट की ओर से राजेश त्रिपाठी को जेल में काटे गए 3 महीने का वेतन भुगतान कर दिया गया है लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि फिलहाल भुगतान नहीं हुआ है।

एक बार फिर सीमा शर्मा ने मामले का खुलासा किया 

शिक्षा विभाग का रवैया देखिए, नौकरी देने से पहले दस्तावेज तो सत्यापन किए परंतु व्यक्ति को सत्यापित नहीं किया। सीमा शर्मा की शिकायत पर मामले का खुलासा हुआ और आरोपी जेल गए। जेल से लौटने के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जेल की अवधि को मेडिकल लीव मान लिया। इस बार भी सीमा शर्मा नहीं मामले का खुलासा किया। सीमा शर्मा का कहना है कि इस मामले में शिक्षक कर्मचारी राजेश त्रिपाठी को बर्खास्त किया जाना चाहिए।

जिला शिक्षा अधिकारी की भूमिका संदिग्ध

इस पूरे मामले में जिला शिक्षा अधिकारी हरभुवन तोमर की भूमिका संदिग्ध बनी हुई है। सूत्र बताते है कि यह फर्जीवाड़े के आरोपी शिक्षक की जॉइनिंग का मामला सामने आते ही पिछली डेट में एक जांच दल गठित कर दिया गया है।

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