कारावास के साथ लगने वाला जुर्माना नहीं भरा तो अपराधी को क्या सजा मिलेगी - LEARN IPC SECTION 65

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न्यायालय का यह कर्तव्य है कि वह किसी भी आरोपी पर ऐसा जुर्माना लगाए जिसे वह न्यायालय में भुगतान कर सके। आरोपी की आर्थिक स्थिति सिर्फ जुर्माने की राशि में ही देखी जाए न कि कारावास के दण्ड में कोई छूट दी जाए। धारा 64 में स्पष्ट नहीं बताया था कि कौन से जुर्माने न देने पर क्या सजा होगी उपर्युक्त धारा में सिर्फ परिभाषा को बताया गया था।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 65 की परिभाषा:-

धारा 65 में यह बताया गया है कि यदि आरोपी द्वारा किया गया अपराध का दण्ड कारावास और जुर्माने दोनों से दाण्डित है तब वह जुर्माने का भुगतान करने में डिफॉल्ट की दशा में उस अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम कारावास की अवधि के केवल एक-चौथाई सजा होगी। एक-चौथाई कारावास से अधिक नहीं होगी।

उधरणानुसार:- यदि किसी आरोपी को चोरी के अपराध के लिए न्यायालय द्वारा कुछ माह की सजा तथा 500 रुपये जुर्माने से दाण्डित किया जाता हैं, तो चोरी के अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्षों का कारावास का दण्ड दिया जा सकता है, अतः इस आरोपी द्वारा निर्धारित अवधि में पाँच सौ रुपए जुर्माने की राशि अदा न कि जाने की दशा में, तीन वर्ष की सजा का एक-चौथाई अर्थात नो (9)  माह का कारावास जुर्माने के विकल्प के रूप में दण्ड दिया जा सकता है। जुर्माना न देने की स्थिति में कारावास एक-चौथाई से ज्यादा नहीं होगा। न्यायालय आरोपी की सजा के कारावास को उसके विवेकानुसार 9 माह से कम भी कर सकता है लेकिन अधिकतम एक-चौथाई ही रहेगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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