शिवराज सर, गरीब किसान का एक सवाल है, जवाब देंगे क्या - Khula Khat

प्रति, श्री शिवराज सिंह चौहान
, माननीय मुख्यमंत्री महोदय, आपने आज बताया कि आपने नए कृषि कानूनों का लाभ आसानी से किसानों तक पहुंचे इसलिए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। किसान और व्यापारी के बीच एक अनुबंध होगा जो एसडीएम कार्यालय में रखा जाएगा। इसके लिए हार्दिक धन्यवाद, लेकिन एक छोटा सा सवाल है। इसका जवाब देंगे क्या।

मध्यप्रदेश शासन की जनसंपर्क संचालनालय द्वारा जारी आधिकारिक सूचना में बताया गया है कि राज्य सरकार ने नये कृषि कानूनों का लाभ आसानी से किसानों तक पहुंचाने के लिये फैसले लिये हैं। अब किसान और फसल क्रय करने वाली कम्पनी, व्यापारी या व्यक्ति के मध्य होने वाले अनुबंध प्रपत्र को अनुविभागीय दण्डाधिकारी राजस्व कार्यालय (SDM OFFICE) में दस्तावेज के रूप में सुरक्षित रखा जाएगा। ताकि किसान के साथ किसी भी तरह का धोखा नहीं हो सके।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अनुबंध के लिए राज्य सरकार द्वारा एक प्रोफार्मा तैयार किया जा रहा है। जिसमें किसान और फसल क्रय करने वाली कम्पनी के प्रतिनिधि, व्यापारी या व्यक्ति के हस्ताक्षर होंगे तथा इस प्रपत्र को अनुविभागीय दण्डाधिकारी राजस्व के कार्यालय में सुरक्षित रखा जायेगा। 

सरल सा सवाल है, सरल से जवाब की उम्मीद है 
सरकार प्रोफार्मा बना रही है बहुत अच्छी बात है। कंपनी और व्यापारी अंग्रेजी में अपने हिसाब से एग्रीमेंट नहीं बना पाएंगे। प्रोफार्मा हिंदी में होगा और किसान उसे पढ़ सकता है। 
किसान एवं कंपनी/ व्यापारी द्वारा हस्ताक्षर किया गया प्रोफार्मा एसडीएम कार्यालय में रखा जाएगा। यह भी अच्छी बात है, किसान के पास रखा होता तो हो सकता है उसके घर के साथ एग्रीमेंट भी जल जाता, या फिर किसी अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई के दौरान मलबे में दबकर नष्ट हो जाता। अब कम से कम सुरक्षित तो रहेगा। 
सवाल सिर्फ इतना है कि यदि एसडीएम कार्यालय से एग्रीमेंट गायब हो गया तो क्या होगा। बहुत सारे कानून पहले से हैं, जिनमें कड़े दंड का प्रावधान भी है परंतु संपत्ति विवाद के मामले में उनका पालन नहीं होता। क्या मुख्यमंत्री महोदय यह सुनिश्चित करेंगे कि उन कानूनों का पालन हर हाल में होगा। 
सवाल यह भी है कि एसडीएम कार्यालय केवल अनुबंध पत्र को अपने पास सुरक्षित रहेगा या फिर अनुबंध पत्र के सामने आते ही जांच भी करेगा कि अनुबंध सही हुआ है या नहीं। कई बार कंपनियां/ व्यापारी अनाधिकृत व्यक्तियों से अनुबंध पर हस्ताक्षर करवा देती है। 

मुख्य सवाल केवल इतना है कि विवाद की स्थिति में निपटारा करने वाला अधिकारी कौन होगा। किसान की तरफ से आवेदन दाखिल करने के कितने दिनों के भीतर विवाद का निपटारा कर दिया जाएगा। यदि एसडीएम विवाद का निपटारा नहीं करता तो फिर अपील कहां की जाएगी और उसका निपटारा कितने दिनों में हो जाएगा। 
यदि एसडीएम या उनके कार्यालय का कोई कर्मचारी इस तरह के विवाद में रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया तो उसके खिलाफ क्या कोई कड़ी कार्रवाई का नया प्रावधान किया जा रहा है।
प्रश्न इसलिए है क्योंकि संपत्ति विवाद के निपटारे पीढ़ियों तक नहीं होते। एसडीएम कार्यालय में पहले से ही कई सारे संपत्ति विवाद के मामले पेंडिंग चले आ रहे हैं। लोकायुक्त पुलिस के रिकॉर्ड में ऐसे कई मामले दर्ज हैं जिसमें संपत्ति विवाद में गलत फैसले के लिए एसडीएम कार्यालय में किसी कर्मचारी द्वारा रिश्वत ली गई।

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