कोई व्यक्ति उधार लेकर छुप जाए तो उसके खिलाफ कौन सी धारा के तहत मामला दर्ज होगा - ASK IPC

उधारी या लोन का लेन-देन भारत में एक सामाजिक शिष्टाचार हो चुका है। लोग अपनी जरूरतों के लिए बैंक से लोन लेते हैं। कई बार व्यक्तिगत व्यवहार पर रिश्तेदारों परिचितों से उधार लेते हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि उधारी लेने वाला व्यक्ति कर्ज की रकम चुकाने से बचने के लिए खुद को छुपा लेता है। घर पर होते हुए भी सामने नहीं आता। ज्यादातर लोग नहीं जानते परंतु भारतीय दंड संहिता में ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान है।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 422 की परिभाषा:-

अगर कोई व्यक्ति कर्ज चुकाने से बचने के लिए अपनी संपत्ति को बेच दे या किसी लेनदार से अपने आप को छुपा कर रखे या घर पर होते हुए भी उसके सामने न आए। या बैक कर्ज से बचने के संपत्ति बेच कर भाग जाए और स्वंय को छुपा ले। ऐसा करने वाला व्यक्ति धारा 422 के अंतर्गत अपराधी होगा।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 422 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अपराध समझौता योग्य होते हैं उस व्यक्ति से जो आपके कर्ज का लेनदार है। यह असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं।इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी मजिस्ट्रेट को होता है। सजा:- इस अपराध के लिए दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।

उधरणानुसार:- राजेश किसी बैंक से कर्ज लेता है, ओर समय पर वह बैंक के पैसे नहीं दे पता हैं। उसका (कर्ज) ऋण जो बैंक से लिया था ब्याज के कारण बहुत ज्यादा हो जाता है। बैंक अधिकारी राजेश के घर जाते हैं,बैंक के पैसे लेने के लिए लेकिन उसकी पत्नी बैंक अधिकारी से बोलती है कि राजेश अब यहाँ नहीं है वह बाहर चला गया है। लेकिन राजेश मकान में ही छिपा रहता है। उसकी पत्नी द्वारा राजेश छिपाने पर, बैंक राजेश पर धारा 422 के अंर्तगत मामला दर्ज कर सकती है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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