फरार आरोपी की संपत्ति कुर्की किस कानून के तहत की जाती है - CRPC 82

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अपराध को अंजाम देकर कोई व्यक्ति फरार हो जाता है और न्यायालय के आदेश के बाद भी वह आरोपी न्यायालय में उपस्थित नहीं होता है तब न्यायालय CRPC की धारा 82 के अनुसार एक उद्द्घोषणा जारी करेगा, इससे संबंधित जानकारी हमने आपको कल के लेख में बता दी है। उसके बाद न्यायालय स्वतंत्र होता है अगली कार्यवाही के लिए न्यायालय ऐसे फरार व्यक्ति के संपत्ति की जानकारी लेगा जिसका वह स्वयं हकदार हैं। फिर न्यायालय द्वारा संपत्ति कुर्की के आदेश निकले जाएंगे जानिए।

दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 83 की परिभाषा:-

कोई आरोपी कुछ महीनों के लिए फरार होता है और न्यायालय के शमन या वारण्ट का पालन नहीं करता है। और अपने आपको किसी गुप्त स्थान पर जानबूझकर छुपाकर रखता है, तब न्यायालय सीआरपीसी की धारा 83 के अंतर्गत उसकी संपत्ति को कुर्की करने के आदेश जारी करेगा। 

क्या है संपत्ति कुर्की के महत्वपूर्ण नियम:-

(1). अगर न्यायालय को लगता है कि जिस व्यक्ति की संपत्ति कुर्की की जा रही है, उसको इस बात का पता चल गया है और वह व्यक्ति उस संपत्ति को किसी अन्य को बेचने वाला है। तब न्यायालय उद्द्घोषणा के साथ ही संपत्ति कुर्की का आदेश प्राधिकृत अधिकारी को दे सकता है।
(2). अगर कोई संपत्ति जिले के बाहर हैं तब उस संपत्ति की कुर्की उस जिले का प्राधिकृत अधिकारी करेगा।
(3). अगर आरोपी की संपत्ति ऋण या लोन द्वारा बनाई गई है तब न्यायालय एक रिसीवर की नियुक्ति करेगा।
(4). अगर हिंदू उत्तराधिकारी के नियम के अंतर्गत आरोपी की संपत्ति आती है तब जिले के राजस्व विभाग से अनुमति एवं कब्जा लेकर उसकी संपत्ति की कुर्की की जाएगी।
(5). संयुक्त परिवार में संपत्ति पूरे परिवार की कुर्की नहीं कि जाएगी,चल-अचल संपत्ति जो आरोपी की होगी वही कुर्की करने का अधिकार होगा, न कि परिवार की संपत्ति।
(6). कोई भी जाँच अधिकारी या पुलिस अधिकारी बिना न्यायालय की आज्ञा के किसी भी आरोपी की संपत्ति को कुर्की नहीं कर सकता है। न ही कोई संपत्ति को नुकसान पहुचा सकता है।

जानिए महत्वपूर्ण वाद:-
1. *टी•वीराग बनाम हैदराबाद राज्य* न्यायालय द्वारा यह अवधारित किया गया कि जहाँ कुर्की संपत्ति में संयुक्त हिन्दू परिवार के सदस्य का केवल हित है,वहाँ एक मात्र यही प्रक्रिया अपनायी जा सकती हैं कि आय में से फरार व्यक्ति का हिस्सा एकत्र करने के लिए रिसीवर की नियुक्ति की जाय।

2. *सुधेन्दु बनाम राज्य* इस वाद में न्यायालय द्वारा अवधारित किया गया कि जहाँ अन्वेषण अधिकारी अतिकार्य करता है, एवं घर या संयुक्त हिंदू संपत्ति के अन्य सहभागियों की व्यक्तिगत संपत्ति को कुर्क करता है, वहाँ उसका यह कार्य भारतीय संविधान के अनुच्छेद 300A का उल्लंघनकारी है। जो जाँच अधिकारी होगा वह ऐसी अवैध कुर्की के लिए स्वयं जिम्मेदार होगा। 

नोट:- बिना न्यायालय की अनुमति या न्यायालय द्वारा उद्द्घोषणा जारी करने से पहले कोई भी पुलिस या जांच अधिकारी किसी फरार व्यक्ति के घर या मकान सील नहीं कर सकता है, अगर कोई अधिकारी ऐसा करता है तब  इस अवैध कार्य के लिए न्यायालय दण्डित कर सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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