REWA के फूड कंट्रोलर अधिकारी की मौत, प्लाज्मा थेरेपी भी फेल - MP NEWS

रीवा। देश में कई इंतजाम के बाद भी न संक्रमण का फैलाव रुक रहा है, न ही कोरोना से होने वाली मौत की रफ्तार पर लगाम लग रही है। रीवा में एक लोकप्रिय सरकारी अधिकारी की इलाज के दौरान मौत हो गई। रीवा जिला फूड कंट्रोलर राजेंद्र सिंह ठाकुर ने 19 अगस्त को जिला अस्पताल में सैंपल दिया। 20 अगस्त को रिपोर्ट आई जिसमें वह कोरोना पॉजिटिव बताए गए। दो दिन तक अपने शासकीय आवास में ही आइसोलेशन में रहे। 23 अगस्त को जिला अस्पताल पहुंचे। 

23 अगस्त को ही डॉक्टरों ने उन्हें संजय गांधी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। तब से वह लगातार जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करते रहे। इस दौरान प्लाज्मा थेरेपी से भी इलाज किया गया। कई इंजेक्शन दिए गए। यहां तक कि दिल्ली, भोपाल और जलबपुर से विशेष इंजेक्शन मंगाए गए। बावजूद इसके उनकी तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ। एसजीएमच में भोर के तीन बजे चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।जिला फूड कंट्रोलर राजेंद्र सिंह ठाकुर मूलरूप से मंडला के बिछिया तहसील के भुआ गांव के निवासी रहे। जिले में दो साल से कार्यरत थे। कोरोना के दौरान रीवा में खाद्यान्न वितरण की व्यवस्था को लेकर कार्यालय से लेकर फील्ड में भ्रमण करते रहे। 

फूड कंट्रोलर की दो बेटियां हैं। पत्नी नीलिमा ठाकुर जो बड़ी बेटी के घर अमेरिका में थी। दरअसल मार्च में ही वह बेटी के घर अमेरिका गई थीं। कोरोना के कारण लॉकडाउन में फंस गईं। पति के कोरोना संक्रमित होने की सूचना मिलते ही अमेरिका से जैसे-तैसे भोपाल होते रीवा पहुंची। लेकिन वार्ड में मिलने नहीं दिया गया। लाचार पत्नी, वीडियो कालिंग के जरिए ही पति को देख सकीं थीं। बड़ी बेटी तो अमेरिका से आ ही नहीं सकी। वह अंतिम समय में पिता से मिल नहीं सकी। अधिकारियों से मिन्नत कर वीडियो कॉलिंग के जरिए बड़ी बेटी को शव का दर्शन कराया। 

एसजीएमएच में भर्ती होने के दूसरे दिन फूड कंट्रोलर का भतीजा पीतांबर ठाकुर रीवा पहुंचे। कुछ दिन बाद छोटी बेटी रूपांजलि ठाकुर भी भोपाल से रीवा आ गईं। जानकारी के मुताबिक फूड कंट्रोलर का भतीजा, चाचा के बेहतर इलाज के लिए बाहर ले जाना चाहता था। इसके उसने चिकित्सकों से दर्ख्वास्त भी की। लेकिन, चिकित्सकों ने यह कहकर रेफर नहीं किया कि एबुंलेंस से बाहर ले जाने की स्थित नहीं है। कमिश्नर राजेश कुमार जैन ओर कलेक्टर इलैयाराजा टी ने एयर एंबुलेंस के लिए प्रयास किए। बावजूद इसके जबलपुर, भोपाल या दिल्ली नहीं जा सके। अंत में चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया।

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