अपहरण और आतंकवादियों द्वारा अपहरण में क्या अंतर है, FIR में कौन सी धारा दर्ज की जाएगी /ASK IPC

What is the difference between kidnapping and kidnapping by terrorists/Naxalite

जैसा कि आप जानते हैं कि अपहरण और अपहरण में अंतर होता है। भारतीय दंड संहिता में अपराध के उद्देश्य के अनुसार धाराएं निर्धारित की गई हैं। लव मैरिज के लिए अपहरण, फिरौती के लिए अपहरण, हत्या के लिए अपहरण अलग-अलग प्रकृति के अपराध माने गए हैं। इन सबके अलावा एक धारा ऐसी है जो अपहरणकर्ता की पहचान होने के बाद जोड़ी जाती है। एक मोस्ट वांटेड शहरी अपराधी द्वारा अपहरण और आतंकवादी गिरोह या नक्सलवादियों द्वारा अवरण किए जाने में क्या अंतर है और FIR में कौन सी धारा दर्ज की जाएगी, आइए IPC पूछते हैं:-

वर्तमान समय में यह समस्या एक गंभीर अपराध बन गई है किसी भी व्यक्ति का कब अपहरण या किडनैप कर लिया जाए इस बात की कोई खबर नहीं होती है कोई भी आतंकवादी संगठन भारतीय नागरिकों का अपहरण कर लेता है और कई प्रकार की धमकियों देता है या कोई नक्सलवादी किसी बच्चों की बस को किडनैपिंग कर लेते हैं और उसके बदले में उनकी मांगों को पूरा करवाते हैं इन सब बढ़ते अपराधों को ध्यान में रखते हुए भारतीय दण्ड संहिता में धारा 364 क, जोड़ी गई। ताकि ऐसे गंभीर अपराधों पर काबू पाया जा सके।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 364 - क,की परिभाषा:-

अगर कोई व्यक्ति, देशी या विदेशी नक्सलवादी या आतंकवादी संगठन या कोई आपराधिक गिरोह आदि किसी भी व्यक्तियों या व्यक्ति का अपहरण, किडनैपिंग करता है और उसके बदले में फिरौती मांगता है, हत्या की धमकी देता है, गंभीर चोट की धमकी देता है, या बदले में कोई अन्य आपराधिक काम करने के लिए दबाव बनाते हैं। तब ऐसा करने वाले धारा 364-क, के अंतर्गत दोषी होंगे।
【नोट:- यह अपराध फिरौती मांगने, धमकी देने, चोट पहुचने आदि बोलने से ही पूर्ण हो जाता है। चाहे बाद में यह कुछ नहीं हो पाया हो।】

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 364- क, के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है। यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध है। इनकी सुनवाई का अधिकार सेशन न्यायालय को होता है। सजा- धारा 364-क़, के अपराध के लिए मृत्यु दण्ड से लेकर आजीवन कारावास का प्रावधान है साथ में जुर्माना भी।

उधरणानुसार वाद:- श्याम बाबू बनाम हरियाणा राज्य- एक साढ़े चार साल का बच्चे का व्यपहरण स्कूल से आते समय घर के पास उसकी माँ से छीन कर के गए एवं उसकी माँ के हाथ के पास एक पत्र लिखकर छोड़ गए और बच्चे की माँ को धक्का देकर आरोपी ने कमरे में बंद कर दिया। आस पास के पड़ोसियों की मदद से बच्चे को माँ कमरे से बाहर आई ओर नजदीक पुलिस थाने में अपनी रिपोर्ट दर्ज करवाई, जो पत्र बच्चे की माँ को आरोपियों ने दिया था उसमें 5 लाख रुपए की फिरौती की मांग की गई थी। बच्चे को छुड़ाने के बाद न्यायालय ने विनिशिचत किया कि फिरौती की मांग करने से ये अपराध पूर्ण हो गया था इस लिए आरोपी को धारा 364- क, अधीन अपराध सिद्ध करके आजीवन कारावास और जुर्माने से दण्डित करना उचित है।न्यायालय द्वारा आरोपी की याचिका को खारिज कर दिया गया। बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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