मध्य प्रदेश के 15 जिले ड्रग्स माफिया के शिकंजे में, देश में चौथे नंबर पर / MP NEWS

भोपाल
। केंद्र सरकार ने भारत के 227 जिले सूचीबद्ध किए हैं जहां युवाओं में नशे की लत लगातार बढ़ती जा रही है और कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी में ड्रेस की सप्लाई पुलिस द्वारा कई बार पकड़ी जा चुकी है। देश के 227 जिलों में मध्य प्रदेश के 15 जिलों का नाम है। यानी मध्य प्रदेश के 15 जिले वृक्ष माफिया के शिकंजे में आ चुके हैं। केंद्र सरकार ने सभी जिलों के कलेक्टरों/ डीएम को निर्देशित किया है कि वह नशा मुक्ति अभियान चलाकर दो तरफा कार्रवाई करें। एक माफिया के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई और दूसरा युवाओं में जागरूकता।

मध्य प्रदेश के कितने जिलों में ड्रग्स का कारोबार, नशा मुक्ति अभियान

मध्य प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण मंत्री श्री प्रेम सिंह पटेल ने बताया कि नशामुक्त भारत अभियान के तहत प्रदेश के 15 जिलों में 15 अगस्त से छ: माही क्रियान्वयन शुरू किया गया है। जिनमें प्रदेश के भोपाल, छिंदवाड़ा, दतिया, ग्वालियर, होशंगाबाद, इंदौर, जबलपुर, मंदसौर, नरसिंहपुर, नीमच, रतलाम, रीवा, सागर, सतना और उज्जैन जिले शामिल हैं। जिलों का चिन्हांकन नशीले पदार्थ और शराब से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों के विरुद्ध किये गये राष्ट्रीय सर्वेक्षण के आधार पर किया गया है।

मध्य प्रदेश को नशा मुक्त करने के लिए क्या करने वाली है शिवराज सरकार 

मध्य प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण मंत्री श्री प्रेम सिंह पटेल ने बताया कि अभियान के तहत संबंधित जिलों में कलेक्टर की अध्यक्षता में समितियाँ गठित की गई हैं, जिनमें पुलिस, विधि, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, सामाजिक न्याय आदि विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों और सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारियों को शामिल किया गया है। नशे के आदी हो चुके लोगों को नशामुक्त करने के साथ अभियान का सर्वोच्च उद्देश्य भावी पीढ़ी को नशे की गिरफ्त में आने से बचाना है।

जिला-स्तर पर गठित समितियाँ नशामुक्त अभियान के क्रियान्वयन, विद्यार्थी, शिक्षक और अभिभावकों के मध्य जन-जागरूकता कार्यक्रम, कॉलेजों में स्टूडेंट क्लब का गठन, चिन्हित नशा पीड़ित लोगों को पुनर्वास केन्द्रों और अस्पतालों में काउंसिलिंग एवं उपचार के लिये ले जाना, जिलों में दी जा रही काउंसिलिंग और उपचार सुविधाओं की सतत निगरानी, शैक्षणिक संस्थाओं के 100 मीटर के दायरे में सिगरेट की बिक्री न हो, सुनिश्चित करना, ड्रग्स की उपलब्धता और विक्रय की जानकारी मिलते ही इसके विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करवाना, संबंधित लोगों को प्रशिक्षण दिलाना, अभियान में जन-सहयोग बढ़ाना, सोशल मीडिया के माध्यम से नशे के विरुद्ध जागरूकता बढ़ाना आदि शामिल हैं। समिति समय-समय पर प्रमुख सचिव, सामाजिक न्याय की अध्यक्षता में गठित राज्य-स्तरीय समिति को फीडबैक भी देगी।

नशे की गिरफ्त में आ चुके राज्यों की सूची में चौथे नंबर पर मध्य प्रदेश

केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा कराये गये राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार भारत में लगभग 16 करोड़ लोग शराब, 3.1 करोड़ भांग, 2.26 करोड़ अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। अभियान में शामिल जिलों में राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 33-33, पंजाब के 18, मध्यप्रदेश के 15, झारखण्ड के 12, दिल्ली के 11 क्षेत्र, उड़ीसा, हरियाणा, जम्मू-काश्मीर के 10-10, मणिपुर और आसाम के 9-9, अरुणाचल प्रदेश, बिहार और गुजरात के 8-8, कर्नाटक और केरल के 6-6, आंध्रप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, महाराष्ट्र और मिजोरम के 4-4, नागालैण्ड और छत्तीसगढ़ के 3-3 जिले, दमन और दीव और केन्द्रशासित प्रदेश चण्डीगढ़ हैं।

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