शासकीय नीलामी या विक्रय के आदेश ऐसे सरकारी अधिकारी द्वारा किया जाता है जिसको विशेष कानूनी अधिकार प्राप्त होता है। जब कोई कर्ज या अन्य कारण से शासकीय संपत्ति को नुकसान पंहुचाता हैं तब उसके ऊपर जुर्माना लगता है वह उस जुर्माने को नहीं दे पाता है, तब उसकी जो संपत्ति होती है, उसको विशेष अधिकार प्राप्त लोकसेवक या अधिकारी के आदेशानुसार नीलाम करने की कार्रवाई की जाती है। इस कार्रवाई में जो भी व्यक्ति बाधा उत्पन्न करेगा वह व्यक्ति अपराध करता है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 184 की परिभाषा:-
किसी ऐसे लोकसेवक द्वारा जो विशेष पद धारण करता है,जो किसी संपत्ति को नीलाम या विक्रय करने का आदेश जारी कर कार्यवाही करता है।और कोई व्यक्ति जानबूझकर कर उस कार्य में बाधा उत्पन्न करेगा। वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी पाया जाएगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 184 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है। यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। सजा- एक माह की कारावास या 500रु. जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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