भोपाल। सरकार और ठेकेदार के बीच तनाव के बाद सीन यह बन जाएगी मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह सरकार चाहती है शराब की बिक्री हो और शराब के ठेकेदार चाहते हैं कि उनकी दुकानें बंद रखी जाए। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ने जब दुकान ना खुलने वाले ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की बात की तो ठेकेदार पूर्व घोषणा के अनुसार हाईकोर्ट में चले गए। हाई कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है।
हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया
मुख्य न्यायाधीश एके मित्तल और न्यायाधीश विजय कुमार शुक्ला की जॉइंट बेंच ने मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि जब शराब दुकानों के खुलने का निर्धारित समय कम कर दिया गया है तो इनके ठेकों की पूर्व निर्धारित रकम क्यों नहीं घटाई जा रही है।
ठेकेदारों से मीटिंग के बीच में आबकारी विभाग ने आदेश जारी कर दिया था
एक मई को आबकारी विभाग ने दुकानें खोलने का सर्कुलर कलेक्टरों को भेजा था, लेकिन इस आदेश पर शराब ठेकेदारों ने आपत्ति जता दी है। सोमवार को मुख्य सचिव आईसीपी केशरी के साथ ठेकेदारों की बैठक हुई। ठेकेदारों ने कहा- शराब दुकानें बंद रखी जाएं। बैठक चल रही थी, इसी दौरान आबकारी विभाग ने दुकानें खेलने का आदेश जारी कर दिया। ठेकेदारों को इसकी जानकारी लगी तो उन्होंने जनहित में दुकानें बंद करने का ऐलान कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि प्रशासन दबाव बनाता है तो हम कोर्ट जाएंगे।
शिवराज सरकार शराब बेचकर 1800 करोड़ की भरपाई चाहती है
ठेकेदारों को वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 10,650 करोड़ रु. रेवेन्यू के साथ शराब दुकानें आवंटित हुई हैं। यह एक्साइज ड्यूटी एक अप्रैल से प्रभावी है। अभी दुकानें बंद हैं, इससे सरकार को 1800 करोड़ का नुकसान हुआ है। ठेकेदार नई शर्तों के साथ ड्यूटी नहीं देना चाहते।
ठेके की रकम खत्म हो जाए तो शराब बिक्री शुरू हो जाएगी
ठेकेदारों ने प्रदेश में शराब ठेके की राशि कम किए जाने की मांग लेकर लेकर याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि कोरोना के कारण लॉकडाउन की वजह से वे अपनी दुकानों का संचालन नहीं कर पाए। ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए उनकी ठेके राशि कम की जाए। जॉइंट बेंच ने आदेश में कहा कि प्रदेश सरकार का जवाब आने के बाद अगली सुनवाई में अंतरिम राहत पर विचार किया जाएगा।
जनता तो बहाना है यह सरकार और ठेकेदार में विवाद की जड़
याचिका में कहा गया कि प्रदेश सरकार द्वारा जब वर्ष 2020 -2021 के लिए टेंडर आमंत्रित कर शराब ठेके दिए गए थे। तब परिस्थितियां अलग थीं। याचिकाकर्ता ने टेंडर के माध्यम से ठेके लिए थे। टेंडर के अनुसार ठेके की अवधि 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक थी। इसके अलावा दुकान का संचालन 14 घंटे तक कर सकते थे। टेंडर आवंटित होने के दौरान उन्होंने निर्धारित राशि जमा कर दी थी। टेंडर शुरू होने के पहले ही करोना के कारण देश में लॉकडाउन लागू कर दिया गया था। इसके बाद लॉकडाउन अवधि में लगातार बढ़ोतरी की जा रही है। प्रदेश सरकार द्वारा अब कुछ जिलों और इलाकों में शराब दुकान संचालन की अनुमति दी गई है। इन इलाकों में महज कुछ घंटे दुकान संचालन की अनुमति रहेगी। उनके द्वारा कई हजार करोड़ों में ठेका लिया गया है।
राशि कम करने की मांग
ठेकेदारों का कहना है कि जितने दिन दुकान बंद रही हैं और दुकान संचालन के घंटों में कटौती का आकलन कर ठेका राशि उतनी कम की जाए। ऐसा नहीं करने पर उनकी जमा राशि वापस की जाए और नए सिरे से ठेके के लिए टेंडर आमंत्रित किए जाएं। इस याचिका की सुनवाई शराब ठेका को चुनौती देने वाली पहले दायर याचिकाओं की साथ की गई। बेंच ने याचिका की सुनवाई करते हुए टेंडर प्रक्रिया पर रोक लगा दी।
30 शराब ठेकेदारों ने याचिका दायर की
मंगलवार को हाईकोर्ट में मां वैष्णो देवी इंटरप्राइजेज जबलपुर के आशीष शिवहरे समेत छिंदवाड़ा, लखनादौन, सिवनी, भोपाल, टीकमगढ़ और अन्य जिलों के 30 शराब ठेकेदारों ने याचिका दायर की। अधिवक्ता राहुल दिवाकर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट को तर्क दिया कि जब याचिकाकर्ताओं ने संबधित शराब दुकानों के ठेके लिए तो निविदा की शर्तें कुछ और थीं। इनके तहत शराब दुकानों को दिन में 14 घंटे खोले जाने की अनुमति थी। दुकान के साथ में शराब पीने के लिए अहाता संचालन की भी अनुमति थी। लेकिन 23 मार्च के बाद से परिस्थितियां बदल गईं हैं। इसके चलते याचिकाकर्ता ठेकेदारों को बड़ा नुकसान हो रहा है। राज्य सरकार ने ठेकों की निर्धारित राशि कम करने के लिए कोई पहल नहीं की है। सरकार का पक्ष महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने रखा। सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया।
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