भोपाल। मध्यप्रदेश में राज्यसभा की दूसरी सीट पर प्रत्याशी बनाए गए डॉक्टर सुमेर सिंह सोलंकी का विरोध शुरू हो गया है। कई आदिवासी संगठन लामबंद हो गए हैं और उनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। कारण यह है कि डॉक्टर सुमेर सिंह सोलंकी ने अपने बायोडाटा में लिखा है कि उन्होंने मध्यप्रदेश में कई आदिवासी एवं अन्य संगठनों को कमजोर करने का काम किया क्योंकि यह संगठन अराष्ट्रवादी हैं एवं आदिवासियों को भ्रमित करते हैं।
निराधार और आपत्तिजनक हैं बायोडाटा में लिखी बातें
खंडवा में प्रदर्शनकारियों का कहना है कि आदिवासियों को गुलाम रखने की सोच वाले संगठन को खुश करने और अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूर्ण करने के उद्देश्य से भाजपा से राज्यसभा उम्मीदवार सुमेर सिंह सोलंकी ने उनके बायोडाटा में जयस, आदिवासी मुक्ति संगठन, आदिवासी भीम सेना, आदिवासी छात्र संगठन, मध्य प्रदेश, जाग्रत आदिवासी दलित संगठन जैसे आदिवासी संगठन और नर्मदा बचाओ आंदोलन को नकारात्मक, अराष्ट्रवादी तथा आदिवासियों को भ्रमित करने वाला बताया है। साथ ही लिखा है की उन्हें इन संगठनों को रोकने व कमजोर करने में सफलता मिली है।
यहां भी फूंका पुतला, कार्रवाई की मांग की
बड़वानी में भी आदिवासी समाज संगठनों ने पुराना कलेक्टोरेट के सामने प्रदर्शन कर सोलंकी का पुतला फूंका। विरोध कर रहे लोगों ने कोतवाली पहुंच सोलंकी के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की। जयस प्रदेश अध्यक्ष सीमा वास्कले ने बताया कि देश में आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी आदिवासी समाज पिछड़ा है। सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार के कारण आदिवासी समाज मुख्यधारा से बहुत पीछे है। देश के विभिन्न आदिवासी क्षेत्रों में आदिवासियों की शिक्षा, रोजगार, अधिकारों की जानकारी और संस्कृति को संजोए रखने के लिए अलग-अलग आदिवासी समाज के संगठन जन जागृति फैलाने का काम कर रहे हैं। इन संगठनों को भाजपा के राज्यसभा उम्मीदवार डॉ. सोलंकी ने नकारात्मक और अराष्ट्रवादी बताया है। इसके चलते सभी संगठन इसका विरोध जता रहे हैं।