जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एडीजे परीक्षा में आयु सीमा 45 साल के आदेश पर स्थगन देते हुए 48 साल तक के याचिकाकर्ता वकीलों के आवेदन स्वीकार करने का आदेश दिया है। यानी अब याचिकाकर्ता वकील भी परीक्षा में शामिल हो सकेंगे लेकिन उनकी नियुक्ति हाईकोर्ट के आदेश के अधीन होगी। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को तय हुई है।
एडीजे परीक्षा के लिए वकीलों की उम्र तय होने को लेकर विदिशा जिले के अधिवक्ता सुरजीत सिंह सहित पांच अधिवक्ताओं की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। 14 जनवरी 2020 को मप्र हाई कोर्ट ने वकीलों के लिए मप्र हायर ज्यूडीशियल (एंट्री लेवल) डायरेक्ट रिक्रूटमेंट फ्रॉम बार परीक्षा 2020 के जरिए एडीजे (अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश) के पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ की। इसके लिए ऑनलाइन व ऑफलाइन आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं।
अधिवक्ता जितेंद्र तिवारी, मनीष अंगिरा, अमित तिवारी ने तर्क दिया कि 2017 के संशोधित नियमों के तहत प्रक्रिया की जा रही है। 1994 के नियमों के तहत वकीलों की उक्त पद के लिए अधिकतम आयु 48 वर्ष नियत थी, लेकिन 2017 के संशोधन के जरिए इसे 45 वर्ष कर दिया गया, इससे उम्र संबंधी विसंगति पैदा हो गई जो असंवैधानिक है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में इसी विषय पर याचिकाएं भी लंबित हैं। प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने अनावेदकों से जवाब-तलब करते हुए याचिकाकर्ताओं के आवेदन मंजूर करने के निर्देश दिए।