मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में 27000 फर्जी एडमिशन, क्या यह युक्ति युक्तिकरण घोटाला है | MP EDUCATION NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में 27000 छात्रों के नाम ऐसे पाए गए हैं जो कभी स्कूल ही नहीं आए। राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारी अब इस मामले की पड़ताल कर रहे हैं। यदि यह मामला प्राइवेट स्कूलों का होता तो ऐसे आरटीई घोटाला कहते लेकिन यह सरकारी स्कूलों का मामला है। तो क्या यह मान लिया जाए कि यह युक्तियुक्त करण घोटाला है। 

आरटीआई घोटाले में क्या होता है 

राइट टू एजुकेशन यानी शिक्षा का अधिकार के तहत प्राइवेट स्कूलों की 25% सीटें गरीब छात्रों के लिए आरक्षित होती है। प्राइवेट स्कूलों को इन छात्रों की ट्यूशन फीस सरकार अदा करती है। मध्यप्रदेश में सैकड़ों ऐसे स्कूल हैं जिनमें 25% से ज्यादा गरीब छात्रों को भर्ती दिखाया गया है। वास्तव में ऐसे गरीब छात्रों की स्कूल में उपस्थिति 10% भी नहीं है। रजिस्टर में फर्जी भर्ती केवल इसलिए दिखाई गई है ताकि सरकार से प्राप्त होने वाली फीस की रकम बढ़ाई जा सके। यह एक बिखरा हुआ घोटाला है। ऐसे घोटालों की जांच केवल एसआईटी कर सकती है और मध्य प्रदेश में अब तक इस घोटाले की जांच के लिए किसी भी प्रकार की स्पेशल टीम का गठन नहीं किया गया है। जिला शिक्षा अधिकारियों को सब कुछ पता है लेकिन हमारे सूत्र कहते हैं कि उनका भी कमीशन बना है। 

सरकारी स्कूल में फर्जी एडमिशन यानी युक्तियुक्तकरण घोटाला 

सरकारी स्कूलों में फर्जी एडमिशन सिर्फ दो ही कारणों से हो सकते हैं। पहला मध्याह्न भोजन घोटाला। मिड डे मील घोटाले में फर्जी एडमिशन के साथ उनकी उपस्थिति भी दिखाई जाती है लेकिन इस मामले में 27000 छात्रों की उपस्थिति दर्ज नहीं की गई है यानी यह मिड-डे-मील घोटाला नहीं है। ऐसी स्थिति में यह युक्तियुक्त करण घोटाला हो सकता है। शिक्षा विभाग में युक्तियुक्त करण के तहत उन स्कूलों के शिक्षकों का तबादला कर दिया जाता है जिनमें छात्रों की संख्या कम होती है। ट्रांसफर से बचने के लिए शिक्षक स्कूलों में फर्जी एडमिशन दिखाते हैं। ऐसे मामले पहले भी प्रकाश में आ चुके हैं।

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