भोपाल। पंचायत सचिव संगठन के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा है-प्रदेश के पंचायत सचिवों के पास 25 साल का अनुभव है, पंचायत सचिवों ने जब रोजगार सहयकों की नियुक्ति भी नही हुई थी तब भी अच्छा काम करके प्रदेश सरकार को देश मे मनरेगा में अग्रणी बनाया था। जब प्रदेश के पंचायत सचिव अपनी जायज मांगो को लेकर आंदोलनरत थे तब रोजगार सहायकों के तथाकथित संगठन के पदाधिकारियों ने भोपाल में तत्कालीन सरकार के कुछ दलालों के साथ मिलकर के पंचायत सचिवों का आंदोलन कुचलकर सचिवों का प्रभार छुड़वाने और सरकार के दलालों के माध्यम से पंचायत सचिवों के ₹5000 महीना वेतन कम करवाने की साजिश रची थी, सचिवों का शोषण कराने वाले पंचायत सचिवों से सहयोग की उम्मीद ना रखें।
04 दिन बाद झाबुआ में विधानसभा में उपचुनाव है रोजगार सहायकों के पदाधिकारियों ने सरकार के खिलाफ साजिश के तहत अचानक हड़ताल करने का निर्णय लिया है, जिसका पंचायत सचिव संगठन समर्थन नही करता है। प्रदेश के पंचायत सचिव संगठन ने निर्णय लिया है कि हम किसी का समर्थन नैतिक रूप से या किसी प्रकार से नहीं करेंगे सभी 52 जिलों के जिला अध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्षों को निर्देश दिया गया है कि जिला पंचायत के सीईओ और प्रशासन जो काम सौपे, वो सभी काम करना है।
प्रदेश के पंचायत सचिवों को 25 वर्ष का अनुभव है मध्य प्रदेश का पंचायती राज की रीढ़ पंचायत सचिव है कोई भी प्रदेश संगठन के निर्णय के बगैर किसी भी धरना स्थल पर समर्थन करने नहीं जाएंगे ना ही कोई कमेंटमेन्ट करेंगे, बकायदा पंचायतों में काम करेंगे। उक्ताशय की जानकारी देते हुए पंचायत सचिव संगठन के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने बताया कि रोजगार सहायकों को वह दिन याद करना चाहिए जिस दिन हमने आपको लक्ष्मण की उपाधि दी थी लेकिन आप मर्यादा भूल गए। यदि सच्चे दिमाग से दिल से सहयोग दिया होता तो तत्कालीन सरकार से पंचायत सचिवों की मांगे तो पूरी हमने करवा ही ली लेकिन साथ में आपकी भी मांगे पूरी हो जाती है लेकिन आप सरकार के एजेंटों दलालों के चक्कर में प्रदेश के हजारों रोजगार सहायकों का भविष्य बर्बाद कर के बैठे हो खैर कोई बात नहीं हमें उससे कोई मतलब नहीं है, लेकिन इतना याद रखना चाहिए हम के रास्ते पर कांटे बिछाते है तो हमे भी अगले से फूलों की उम्मीद नहीं करना चाहिए।