कमलनाजी के एक हस्ताक्षर से अवैध रेत कारोबार खत्म हो सकता है: भाजपा विधायक अजय विश्नोई JABALPUR NEWS

जबलपुर। आयकर छापों की वजह से भाजपा की प्रथम पंक्ति से पीछे धकेल दिए गए पूर्व मंत्री एवं भाजपा विधायक अजय विश्नोई ने कांग्रेस सरकार के सीएम कमलनाथ को अवैध रेत कारोबार पर लगाम लगाने का सूत्र बताया है। विश्नोई का कहना है कि उन्होंने यह सूत्र भाजपा सरकार के समय सीएम शिवराज सिंह को भी बताया था परंतु वो इसमें सफल नहीं हो सके। विश्नोई ने आरोप लगाया है कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार और अब कांग्रेस सरकार के लोग रेत के अवैध उत्खनन में शामिल हैं। 

मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखा है

पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक अजय विश्नोई ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखा है। उन्‍होंने अपनी सरकार के दौरान शिवराज सिंह को भी लिखा था। उन्‍होंने कहा कि रेत के अवैध खनन, भंडारण या फिर बिक्री पर रोक लगाने में कोई भी सरकार मुकम्मल सफल नहीं हो पाई है। इसका अगर कोई इलाज है तो वह सिर्फ रेत की दरों को सस्ता करना है। हालांकि पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया है कि वर्तमान सरकार के लोग खुद इस काम में लिप्त हैं।

विश्नोई का रेत के अवैध व्यापार पर नया फॉर्मूला

रेत के अवैध खनन के मामले में घुटने टेक चुकी सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार को अब राय और मशवरे मिलने का दौर शुरू हो गया है। भाजपा के कददावर नेता और विधायक अजय विश्नोई ने रेत के अवैध व्यापार से निजात दिलाने के लिए कमलनाथ सरकार को नए फॉर्मूले पर काम करने की नसीहत दी है। विश्नोई के मुताबिक सरकार अगर रेत के दाम गिरा दे और इतनी सस्ती कर दे कि इसकी उपलब्धता सहज हो तो रेत खनन के साथ अवैध शब्द हट सकता है।

कोई सरकार कामयाब नहीं हुई

विधायक विश्नोई ने कहा कि सराकर अवैध खनन को रोकने में नाकामयाब रही है। अवैध रेत खनन के मामले में सरकार के मंत्रियों ने खुलआम इस बात को कबूला था। प्रदेश के उर्जा और जबलपुर के प्रभारी मंत्री प्रियवत सिंह ने कहा था कि अवैध रेत खनन सरकार के लिए नासूर बन गया है।

अपनी सरकार को भी लिखा पत्र

गौरतलब है कि पूर्व मंत्री विश्नोई ने एक ऐसा ही पत्र अपनी सरकार के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को भी लिखा था। उस पत्र में भी उन्होंने रेत को सस्ता करने की बात कही थी। विधायक की बात पर अगर गौर किया जाए तो इससे सरकार को राजस्व की हानि तो होगी लेकिन एक भ्रष्ट और अराजक हो चुकी व्यवस्था पर विराम लगाने में मदद मिल सकती है। अगर न भी हो तो भी रेत के अनाप शनाप हो रहे दामों पर काफी हद तक रोक लग सकती है।

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