ATITHI SHIKSHAK: जो मानदेय 2018 में बढ़ गया, उसके लिए कैबिनेट में प्रस्ताव हास्यास्पद

सीधी। अतिथि शिक्षक संघ जिला अध्यक्ष रविकांत गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया है , कि सरकार की 12 सितंबर को हुई कैबिनेट में अतिथि शिक्षकों के मानदेय दोगुना करने का झूठा प्रस्ताव पारित करते हुए कहा गया है, कि अतिथि शिक्षकों को अब वर्ग 3 को 5000, वर्ग 2 को 7000, और वर्ग 1 को 9000 मानदेय दिया जाएगा। अतिथि शिक्षकों ने इस प्रस्ताव को सरकार के द्वारा अतिथि शिक्षकों के साथ ही नहीं सम्पूर्ण शिक्षा जगत के साथ मजाक ,हास्यप्रद और जरुरत से ज्यादा झूठा बताया है। 

यह आदेश तो पहले ही 05 नवंबर 2018 को आदेश क्रमांक 1844 जारी हो चुका है

अतिथि शिक्षकों को यह बढ़ा हुआ मानदेय नवंबर 2018 से ही पूर्व की बीजेपी सरकार ने बढ़ा कर भुगतान करना भी चालू कर दिया था। जिसके लिए लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी आदेश दिनांक 05 नवंबर 2018 क्रमांक 1844 का अध्ययन किया जा सकता है। इस आदेश के पहले अतिथि शिक्षकों को वर्ग 3 को 2500/वर्ग 2 को 3500/और वर्ग 1 को 4500/ वर्ष 2008 से ही मिलते आ रहा था। अतिथि शिक्षकों के द्वारा धरना प्रदर्शन रैली आंदोलन और हजारों ज्ञापनों के बाद उनकी भारी नाराजगी को कम करने के उद्देश्य से बीजेपी की सरकार ने नियमितीकरण करने की बजाय अतिथि शिक्षकों का माइंड डायवर्ड करने यह मानदेय राशि बढ़ाई थी। जिससे अतिथि शिक्षक आज भी असंतुष्ट हैं।

मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में 11 सितंबर  2019 को संपन्न हुई कैबिनेट के द्वारा पारित प्रस्ताव को चौपट राजा के राज्यकाल में होने वाले प्रस्ताव बताया गया है।यह सरकार मध्यप्रदेश की भोली-भाली  जनता को अत्यधिक मूर्ख समझ बैठी है।अपनी विपक्षी पार्टी की सरकार की देन को अपनी देन साबित करना चाहती है।

आरोप लगाया गया है कि अतिथि शिक्षकों की दयनीय वर्तमान स्थिति का नाजायज  फायदा लेने कमलनाथ ने सरकार बनने से  पहले  चुनावी वचन पत्र में वचन देकर वादा किया गया था कि,सरकार गठन होने के 90 दिन के अंदर अतिथि शिक्षकों को गुरुजी की तर्ज पर नियमित कर दिया जायेगा । 9 महीने गुजार दिए ।फ़रवरी 2019 को भोपाल में किते ग्रे वचन निभाओ आंदोलन के बाद  छः मंत्रियों की समिति बनाकर टाइम पास किया जा रहा है‌।

इस समिति के द्वारा आज तक अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण से संबंधित कोई ठोस नीति नहीं लाई जा सकी है। और तो और एम.पी.आन लाइन के एजूकेशन पोर्टल को ही अपडेट नहीं किया जा सका है।जिससे आज भी स्पष्ट जानकारी नहीं मिल रही है कि मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के कौन कौन से विषयों के कहां। कहां कितने पद खाली हैं।सरकार की इस उदासीनता के कारण  अतिथि शिक्षकों की भर्ती आवश्यकतानुसार संबंधित विषय वर्ग में नहींं की जा सकती रही है।जिसका खामियाजा प्रदेश के सारे सरकारी स्कूलों के करोड़ों विद्यार्थी भुगत रहें हैं। 

अधिकतर स्कूलों में महत्त्वपूर्ण विषयों विज्ञान,,हिंदी और संस्कृत के लिए अतिथि शिक्षकों को नहीं बुलाया जा रहा है।जिससे इन विषयों की पढ़ाई  ठप्प पड़ी हुई है।भर्ती के बाद रोजगार से लगे रहने और नियमितीकरण की उम्मीद से मानवीय आधार पर स्कूल जा रहे अतिथि शिक्षकों की आनलाइन फीडिंग भी नहीं की जा रही है।जिससे मानदेय का संशय बना हुआ है।बच्चों के बेस लाइन,मिडलाइन और एंडलाइन टेस्ट, मासिक मूल्यांकन आदि का सारा काम ठप्प पड़ा हुआ है।लंबे समय से अतिथि शिक्षक ही स्कूलों की सारी गतिविधियों का संचालन करते आ रहे हैं। रैगुलर शिक्षकों के पास या तो संस्था का प्रभार है या शिक्षक हैं ही नहींं। अधिकांश स्कूल तो शिक्षक विहीन हैं। जबकि सितंबर के आखिरी सप्ताह से तिमाही परीक्षा लिए जाने के आदेश भी प्रसारित किये जा चुके हैं।

इस तरह से सरकार की वर्तमान नीतियों पर आरोप लगाया गया है , कि यह सरकार भी बीजेपी सरकार से कम नहीं है।इस सरकार पर अधिकारी तंत्रराज हावी है। कमलनाथ सरकार गरीब और मध्यम वर्गीय छात्रों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा से  दूर कर सरकारी स्कूलों को बदनाम करते हुए इनके  निजीकरण का रास्ता साफ कर रही है। बता दें कि वर्तमान में 1 हफ्ते पहले भोपाल में हुए जंगी तिरंगा यात्रा प्रदशन से कमलनाथ सरकार घबराई हुई है। परिणाम स्वरूप झूठे प्रस्ताव पास करके अतिथि शिक्षकों को और मध्य प्रदेश की जनता जनार्दन को गुमराह करना चाहती है ।अपील की गई है कि सरकार अभी भी होश में आए और अतिथि शिक्षकों के लिए तत्काल कोई ठोस नीति तैयार कर नियमित करे या तो अतिथि शिक्षकों का विरोध का नुक़सान सहन करने तैयार हो जाये‌। झाबुआ उप चुनाव और प्रदेश में स्थानीय निकायों के चुनाव करीब आ रहे हैं।अतिथि शिक्षकों का संगठन मजबूत है। लाखों परिवार के करोड़ों वोट हैं।इसका उपयोग कहीं और भी किये जाने पर विचार किया जा सकता है।

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