पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों पर हमले के विरोध में डॉक्टरों का आंदोलन जारी है। राजधानी भोपाल सहित पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा बुरी तरह अस्त-व्यस्त है। मरीज़ बेहाल हैं। भोपाल के दो बड़े सरकारी अस्पतालों में आज डॉक्टरों की हड़ताल के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह ठप्प दिखाई दी। मरीज़ के अटेंडेंट्स परेशान होकर यहां-वहां भटकते रहे। इमरजेंसी सेवा हर जगह चालू थी, बावजूद इसके दर्जनों ऑपरेशन टाल दिए गए।
भोपाल में गांधी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हमीदिया शासकीय अस्पताल में सुबह से ही मरीज़ों और उनके साथ आए लोगों की लंबी कतार लग गयी थी लेकिन जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के काऱण उन्हें इलाज नहीं मिल सका। अकेले हमीदिया अस्पताल में 3 दर्जन से ज़्यादा ज़रूरी ऑपरेशन नहीं हो सके।
एम्स में भी यही हाल-
भोपाल स्थित एम्स में भी यही हाल रहा। ना ओपीडी में कोई सुन रहा था और ना ही ऑपरेशन हो पाए। हरदा से लायी गयीं 70 साल की मरीज़ नेवाबाई को ब्रेन हेमरेज हो गया है। बावजूद इसके उन्हें 45 मिनट तक इमरजेंसी में नहीं जाने दिया गया, गार्ड्स ने उनके परिवार के साथ दुर्व्यवहार किया। मरीज़ों और अटेंडेंट्स के लिए रखी गयी कुर्सियों पर पुलिवाले बैठे रहे।
लौट गए मरीज़-
सरकारी अस्पतालों की ओपीडी से प्रदेश भर में हज़ारों मरीज़ बिना इलाज के लौट गए। इनमें बड़ी तादाद दूसरे गांव और शहरों से आने वाले मरीज़ों की भी थी। अनिश्चित माहौल देखकर सबको लौटना पड़ा। मरीज़ों का कहना था कि सुबह से लाइन में लगे हैं लेकिन पर्चा तक नहीं बन पाया। ऐसे में कई मरीजों की हालत बिगड़ भी गयी। हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों का कहना है कि राज्य सरकार हमारी मांगों को जब तक पूरा नहीं करती, असुरक्षा का डर बना रहेगा।
दिग्विजय सिंह के ट्वीट पर डॉक्टर्स का कहना- हम किसी पार्टी से नहीं हैं। मध्यप्रदेश में मौजूदा कानून में कई खामियां हैं, उसमें सुधार किया जाना चाहिए। एट्रोसिटी एक्ट की तरह ही डॉक्टर्स प्रोटेक्शन एक्ट होना चाहिए।