ई-टेंडर घोटाला: MILESTONE का मनीष गिरफ्तार, 105 करोड़ के ठेके में टेंपरिेंग का आरोप | MP NEWS

भोपाल। MILESTONE LIMITED कंपनी के कथित संचालक मनीष खरे को आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने 3000 करोड़ के ई-टेंडर घोटाला में गिरफ्तार किया है। मनीष खरे साइबर एक्सपर्ट है। आरोप है कि उसने सरकारी साफ्टवेयर में टेंपरिंग करके 105 करोड़ का ठेका मनचाही कंपनी को दिलवा दिया। आरोप है कि मनीष खरे ने गुजरात की सोरठिया वेलजी कंपनी को 105 करोड़ रुपए का टेंडर दिलाने में मदद की थी।

इसके पहले इनपर हो चुकी है कार्रवाई

इसके पहले ई-टेंडर घोटाले में ईओडब्ल्यू ने आरोपी कंपनियों के पदाधिकारियों से पूछताछ शुरू की तो गिरफ्तारी के डर से बड़ौदा की सोरठिया वेलजी कंपनी के 10 अधिकारियों ने एक साथ एक महीने की ट्रांजिट बेल ले ली थी। वहीं 19 अप्रैल से जारी एंटारस सिस्टम्स प्राइवेट कंपनी लिमिटेड के चार पदाधिकारियों से पूछताछ के बीच वाइस प्रेसिडेंट मनोहर एमएन को जेल भेजने के बाद बाकी के तीन लोग भूमिगत हो गए थे।

मनोहर को जेल और कंपनी में उसकी बेटी भी पदाधिकारी होने के कारण ईओडब्ल्यू ने उन्हें भी नोटिस दिया था। इसके बाद से बैंगलुरू स्थित एंटारस सिस्टम्स प्रालि. कंपनी के कई पदाधिकारियों ने ऑफिस से दूरी बना ली थी।

30 दिन की ले ली थी बेल

इधर, माधव इंफ्रा प्रोजेक्ट लि कंपनी के अमित खुराना भी बयान देने नहीं पहुंचे थे। आरोपी कंपनी सोरठिया वेलजी के 10 पदाधिकारियों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए गुजरात हाईकोर्ट से 30 दिन की ट्रांजिट बेल ले ली थी। पदाधिकारियों पर जो धाराएं हैं, उनमें अधिकतम 15 दिन की ही ट्रांजिट बेल मिलती है, लेकिन ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने नोटिस देकर बयान के लिए बुलाया था तो उन्होंने 30 दिन की बेल ले ली थी । माना जा रहा है कि हाईकोर्ट से जिन्होंने ट्रांजिट बेल ली, वह सभी आरोपी हैं।

इसके पहले भी हो चुकी है ई-टेंडरिंग में गिरफ्तारी

ईओडब्ल्यू ने ई-टेंडर मामले में मार्च में भी तीन चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था। ई टेंडर घोटाल पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय का बताया जा रहा है। इसके जरिए प्रभावी लोगों ने तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से डॉटा में टेंपरिंग कर कथित तौर पर अपनी पसंद की कंपनियों को सरकारी विभागों में अरबों रूपयों के ठेके दिलाए। 
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