भाजपा : जिन्दा पुरखों को पानी पिला दिया | EDITORIAL by Rakesh Dubey

आज 6 अप्रेल है, भारतीय जनता पार्टी का स्थापना दिवस है | गर्मी बहुत है, भाजपा में पार्टी के पुरखे जिन्होंने  जनसंघ से भाजपा बनाई आज कहाँ है ? आज एक विचारणीय बिंदु है | लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी. के एन गोविन्दाचार्य. सुमित्रा महाजन, करियामुंडा, कलराज मिश्र. संजय जोशी, उमा भारती. यशवंत सिन्हा, जनसंघ के बाद भाजपा से जुडी सुषमा स्वराज. मध्यप्रदेश में जनसंघ से भाजपा तक की यात्रा के साथी सरताज सिंह {अब कांग्रेस में ] राघव जी और बाबूलाल गौर जैसे कई नाम आज नेपथ्य में हैं | या तो ये चुनाव नहीं लड़ रहे हैं या इन्हें किसी न किसी बहाने पर्दे के पीछे धकेल दिया गया है | पार्टी के नये अलमबरदार लोक सभा चुनाव में कई सीटों पर फैसला नहीं कर सकें हैं | जो फैसले लिए भी गये वे भाजपा की समग्र विचार की नीति से बहुत दूर है | पानी पिलाना एक मुहावरा है, पुरखों को पानी पिलाने के अलग अर्थ हैं, आज भाजपा में तो जिन्दा पुरखों को पानी पिला कर  नहीं दिखा कर अपने कर्तव्य को पूरा किया जा रहा है |

भाजपा के पुरखे भाजपा के सैद्धांतिक क्षरण को देख रहे हैं | सब सह रहे हैं, इतने मजबूर हैं कि इसके  बावजूद कुछ कह नहीं रहे हैं | आज संजय जोशी का जन्मदिन  भी है | के एन गोविन्दाचार्य की तरह तो नहीं उससे कुछ भिन्न तरीके से इन्हें भी नेपथ्य तो क्या पूरे दृष्टिपटल से बाहर किया गया | गोविन्दाचार्य की बात अलग है उन्होंने जो सीखा था, उसे समाज में कई लोगों को बाँट दिया और बाँट रहे हैं | अपनी पीड़ा को छोडकर | डॉ मुरली मनोहर जोशी और सुमित्रा महाजन ने पीड़ा को पत्र बनाया | ये पत्र चर्चा में हैं | बिहारी बाबु शत्रुघ्न सिन्हा जैसे कई लोग आये गये, भाजपा अपने प्रवाह में बहती रही, अब रुकी सी  मालूम हो रही है| पुरखे अपने लोक से आशीर्वाद देते हैं | भाजपा में जिन्दा पुरखो का एक लोक तैयार हो गया है, जिन्हें नई पीढ़ी अपनी तरह से पानी दे रही है |

 सन्गठन में पदों के नाम वही है काम बदल गया है | पहले हर राय का कोई अर्थ होता था और सारी राय का एक ही अर्थ है “ बॉस इज आलवेज राईट” | एक अजीब सी गंध भर गई है, भाजपा के निर्णयों में | अब भाजपा में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री  और प्रदेश सन्गठन  मंत्री की हैसियत “यस मैन” की हो गई है | अब न तो कोई गोविदाचार्य की तरह विरार बैठक पर चलने और निर्णयों को तरजीह देने की बात कर  सकता है और न संजय जोशी की तरह तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी  से जिन्ना की मजार पर जाने के बदले इस्तीफा की मांग कर सकता है  ।  गुजरात माडल के शिल्पकार भी ऐसी मिटटी के बने थे, जिन्हें आज नेपथ्य में शामिल बड़े नामों ने  यहाँ- वहां बिखेर दिया | कर्म फल का भुगतान  यही होता है, ऐसी अवधारणा हिन्दू समाज में है, भाजपा हिन्दूवादी  पार्टी है कर्मफल भुगतना होता है और भुगतान आगे भी करना होगा |

आज हाल यह  है कि भाजपा के नीव के पत्थर कहे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी ,मुरलीमनोहर जोशी राजनाथ सिंह सुषमा स्वराज नितिन गडकरी रामलाल  वंसुधरा राजे रमन सिंह शिवराज सिंह चौहान सभी को उस शीर्ष की ओर देखना अनिवार्य है जहाँ मोदी और शाह कायम हैं |  हाँ में हाँ मिलाना मजबूरी है | यही  हाल मोहन जी भागवत भेया जी जोशी और सुरेश जी सोनी और दत्ता जी का है | शीर्ष इनकी भी नहीं सुन रहा है | फिर भी स्थापना दिवस की   बधाई और  भविष्य के लिए शुभकामना भी |
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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