GWALIOR NEWS: बेरोजगार इंजीनियर विकास पाठक ने सुसाइड कर लिया

ग्वालियर। यदि बच्चा टॉपर (TOPPER) हो, सारा स्कूल उसकी तारीफ करता हो। वो इंजीनियरिंग (ENGINEERING) में भी श्रेष्ठ प्रदर्शन करे और टॉपर लिस्ट में बना रहे। बावजूद इसके यदि उसे एक अदद नौकरी (JOB) ना मिले तो उसकी मानसिक स्थिति क्या हो जाएगी। इंजीनियर विकास पाठक (ENGINEER VIKAS PATHAK) का मामला कुछ ऐसा ही है। नौकरी के लिए काफी प्रयास किए लेकिन जब सफल नहीं हुआ तो अंतत: आत्महत्या कर ली। 

नाका चंद्रबदनी स्थित मुड़िया पहाड़ चार नंबर गली के रहने वाले देवेंद्र पाठक पुलिस में हवलदार हैं। वह गोराघाट में पदस्थ हैं। उनके दोनों बेटे इंजीनियर हैं, लेकिन एक की भी नौकरी नहीं लगी है। छोटा बेटा विकास पाठक (26) नौकरी न लगने के कारण तीन साल से तनाव में था। परिजन उसका डिप्रेशन का इलाज भी करवा रहे थे। वह रोज सुबह वॉक के लिए कैंसर पहाड़ी पर जाता था। शुक्रवार सुबह करीब 6 बजे मां से मॉर्निंग वॉक पर जाने की कहकर निकला। इसके बाद वह झांसी रोड पहुंच गया। यहां तपोवन के सामने गुजर रहे रेलवे ट्रैक लेट गया। कुछ देर बाद ट्रेन रौंदती हुई निकल गई। इसके बाद लोगों ने डायल 100 पर पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलने पर पुलिस पहुंची। मृतक की शिनाख्त होने के बाद परिजनों को सूचना दी। 

टॉपर था विकास फिर भी नौकरी नहीं मिली
विकास की मौत से उसके माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। विकास सैनिक रीवा स्कूल से पासआउट था। पढ़ने में इतना होशियार था कि कक्षा 12वीं में स्कूल का टॉपर बना। इसके बाद इंजीनियरिंग की। इंजीनियरिंग करने के बाद नौकरी करने का सपना था, लेकिन नौकरी न लगने से वह उदास रहने लगा। विकास का पहले एक कॉलेज में चयन हुआ लेकिन बाद में रिक्रूटमेंट कैंसिल हो गया। इसके बाद मल्टीनेशनल कंपनी में उसका चयन हुआ, लेकिन कंपनी ने ऐन समय पर ज्वॉइन नहीं कराया। इसके बाद वह टूट गया। इसी के बाद से वह डिप्रेशन में चला गया। वह बहकी-बहकी बातें करता था। कहता था अगर नौकरी नहीं लगी तो क्या होगा। उसे इस स्थिति से उबारने परिजनों ने इलाज भी कराया लेकिन वह हताशा से हार गया और यह कदम उठा लिया। 

मॉर्निंग वॉक पर मां साथ जातीं थी, बस आज ही नहीं गईं थीं
विकास के तनाव को देखते हुए परिजन उसे अकेले कहीं नहीं जाने देते थे। मॉर्निंग वॉक पर भी उसकी मां रोज उसके साथ जाती थीं। शुक्रवार को उनकी तबीयत खराब थी। इसलिए वह पहली बार अकेला चला गया और यह कदम उठा लिया। विकास के चाचा प्रदीप ने बताया कि 12वीं कक्षा के साथ ही उसका चयन एनडीए में हो गया था, लेकिन परिजनों ने ज्वॉइन नहीं कराया था। 

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