MP NEWS: लिव इन में रह रही महिला को भरण पोषण भत्ता का अधिकार नहीं

ग्वालियर। यदि कोई महिला अपने पति से तलाक ले लेती और वैधानिक शादी किए बिना लिव इन रिलेशन में भी रहने लगती है तो यह भी पर्याप्त आधार है कि महिला का भरण पोषण भत्ता का अधिकार समाप्त कर दिया जाए। भिंड जिले में ऐसा ही हुआ है। कुटुंब न्यायालय ने आदेश दिया है कि महिला अपने जीजा के साथ रह रही है। साथ ही उससे महिला को एक संतान भी हुई है। इसलिए महिला भरण पोषण राशि प्राप्त करने की अधिकारी नहीं रह जाती है। 

एडवोकेट ओपी शाक्य ने बताया कि कुरथरा निवासी संजू (22) पुत्र रामकिशन की पत्नी ने कुटुंब न्यायालय में भरण पोषण राशि के लिए आवेदन किया था। पत्नी का कहना था कि उसके पति ने उसका पूरा स्त्रीधन छीनकर उसे मात्र पहने हुए कपड़ों में घर से निकाल दिया था। इसलिए वह अपने पिता पर बोझ बनकर रह रही है। उसके पास भरण पोषण का कोई साधन नहीं है। जबकि उसका पति खेती बाड़ी से संपन्न होकर 50 हजार रुपए प्रति माह कमाता है। 

इस पर संजू ने अपने वकील के माध्यम से न्यायालय को बताया कि उसने अपने पत्नी को घर से निकाला नहीं है। बल्कि वह स्वयं जून 2016 के पहले सप्ताह में बिना किसी को सूचना दिए घर छोड़कर चली गई थी और अपने जीजा सिरोतम सिंह पुत्र हरनाथ सिंह निवासी आसनपुरा इटावा के साथ रह रही है। एक साल पहले उसे संतान भी हुई है। प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात माना कि महिला अपने जीजा के साथ रह रही है और उससे एक संतान भी उसे हुई है। ऐसे में वह भरण पोषण राशि प्राप्त करने की अधिकारी नहीं है। 

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