डॉलर कमाते भारतीय और विकास | EDITORIAL by Rakesh Dubey

भारत में हर वर्ष जनवरी में सरकार 'प्रवासी भारतीय दिवस' मनाती है। यही समय होता है विदेश में रह रहे भारतीयों का अल्प प्रवास के लिए भारत लौटने का | इस बार भी  प्रवासी दिवस मनाया गया। इस बार यह दिवस दिल्ली की बजाय वाराणसी में मनाया गया। जनवरी क महीने में ही महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से अपना अहिंसक आंदोलन की शुरूआत करके भारत लौटे थे। उसी याद में हर साल 'प्रवासी भारतीय दिवस' मनाया जाता है। वाराणसी में प्रवासी भारतीय दिवस में संसार के कई प्रवासी भारतीय या उनके वंशज मौजूद थे। इस सम्मेलन में इस बात की भी चर्चा हुई कि विदेशों में रहने वाले प्रवासी भारतीय किस प्रकार भारत के निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं। 

भारतीय मूल के लोग मारिशस तथा अन्य पड़ोसी देशों में तो वे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक भी बने। आज की तारीख में मारिशस में भारतीय मूल के प्राय: ७० प्रतिशत लोग रह रहे हैं। उसी तरह सूरीनाम में २८  प्रतिशत लोग और कुवैत में २० प्रातिशत  भारतीय मूल के लोग रह रहे हैं,परन्तु सबसे ज्यादा भारतीय मूल के लोग अमेरिका में रह रहे हैं। २० वीं सदी में शिक्षा के लिये और नौकरी के ख्याल से लाखों लोग अमेरिका गये और वहां की समृद्धि को देखकर वही बस गये। आज अमेरिका में करीब ४०  लाख भारतीय मूल के लोग रहे रहे हैं और वे समय समय पर अपने संबंधियों को भारत में पैसा भेजकर भारत को समृद्ध कर रहे हैं। जब से ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति हुए हैं, भारतीयों का वहां जाना और बस जाना एक तरह से रूक गया है। इसके विपरीत एक असीम द्वार उनके लिये कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में खुला है। विभिन्न विदेशी प्रमाणिक सर्वे में बताया गया है कि भारत की आर्थिक उन्नति आज की तारीख में संसार में सबसे अधिक है और आने वाले वर्षों में और भी अधिक होने वाली है। भारतीय मूल के लोगों ने ही प्रवासियों को भारत में निवेश के लिये प्रेरित किया और आंकड़े बताते हैं कि भारतीय मूल के लोगों ने जमकर भारत में निवेश किया है। 

सच यह है कि प्रवासी भारतीयों को भारत की उन्नति के लिये जितना प्रयास करना चाहिये था, उतना नहीं कर पाते हैं, कारण जो भी हो। सबसे दुख की बात यह है कि उनका निवेश कभी कभी गलत दिशा में चला जाता है। केरल की नर्सें अपने कौशल के लिये सारे संसार में विख्यात हैं। वे हर साल लाखों रुपये अपने गांव में अपने परिजनों को मकान बनाने के लिये भेजती हैं। परन्तु वह रकम एक तरह से बर्बाद हो जाती है। गांव में सड़के हैं ही, स्कूल अस्पताल नहीं के बराबर हैं। सही यह होता यदि वह पैसा किसी सामुदायिक कार्य में लगता। उसी तरह मध्य-पूर्व से लाखों मजदूर हर वर्ष अपने घर पैसा भेजते हैं। लेकिन झूठी शान में उनके घर वाले केवल तड़क भड़क और पड़ोसियों से अधिक धनवान दिखने के लिये खर्च कर देते हैं। इस प्रवृति को बदलना होगा। 

इस बात के प्रयास हो कि प्रवासी भारतीय अपनी कड़ी कमाई का एक भाग अपने गांव की भलाई में लगायें। स्कूल कॉलेज और अस्पताल में योगदान दें, सड़क निर्माण में योगदान दें। इस तरह यदि गांव का विकास होगा तो सारे देश का विकास हो जाएगा।
देश और मध्यप्रदेश की बड़ी खबरें MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करेंया फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !