यह तो आतंकवाद पर हमले की शुरूआत है | EDITORIAL by Rakesh Dubey

भारतीय वायुसेना ने एलओसी के पार जाकर बालाकोट स्थित आतंकी कैंप को पूरी तरह तबाह कर दिया।  सूचना मिली थी कि जैश ए मोहम्मद के आतंकी देश में और फिदायीन हमले कर सकते हैं। इसके बाद भारत ने बालाकोट में जैश के कैंप पर कार्रवाई की। जिसमें जैश के आतंकी और ट्रेनर ढेर हुए हैं। जैश कमांडर युसूफ अजहर भी मारा गया है। युसूफ अजहर, जैश के सरगना मसूद अजहर का साला है। भारत सरकार ने साफ किया है कि एयर फोर्स के ऑपरेशन का निशाना खासतौर से आतंकी अड्डे को बनाया गया था, ताकि नागरिकों को नुकसान न हो.|यह ऑपरेशन पूरी तरह आतंकियों के खिलाफ था कोई मिलिट्री ऑपरेशन नहीं था ।

पुलवामा के बाद भारत की ओर से  कड़ा जवाब प्रतीक्षित था। भारत ने इसके लिए बाकायदा कूटनीतिक, रणनीतिक और सैन्य कवायद शुरु कर दी थी। विभिन्न देशों के राजनयिकों से संवाद, सेना को खुली छूट दी गई है, कुछ दिनों पहले अमेरिकी राष्ट्रपति का बयान आया था कि भारत कुछ बड़ा करने की सोच रहा है। उनके इस बयान का मतलब बहुत से लोग इस तरह से निकाल रहे थे कि भारत, पाकिस्तान पर हमला करेगा। इधर मीडिया में भी एकाध अपवाद छोड़कर लगभग सारे चैनल स्टूडियो में छद्म लड़ाई करवा ही रहे थे।एंकर्स इस तरह चीखते मानो सीमा पर सैनिकों की जगह वे ही मोर्चा संभालने पहुंच जाएंगे। यह मौका सस्ती बयानबाजी का नहीं है, लेकिन मीडिया और आम लोगों की क्या कहें, खुद मोदी सरकार इसका राजनैतिक लाभ लेने की कोशिश में दिख रही है।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि देश सुरक्षित हाथों में है। उनके इस बयान से साफ है कि वे २०१९  में भी खुद को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं।

वायुसेना के जांबाजों ने पाकिस्तान में चल रहे आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने का कारनामा कर दिखाया, लेकिन इसमें वाहवाही बहादुर सैनिकों की होनी चाहिए, किसी और की नहीं। और सरकार अपनी सेना का मनोबल बढ़ाए और बनाए रखे, यह उसकी जिम्मेदारी है, इसमें खुद की तारीफ करने से बचना चाहिए। जहां तक सवाल पाकिस्तान पर हमले का है, तो यहां सरकार का आधिकारिक बयान ही याद रखना चाहिए कि यह ऑपरेशन आतंकियों के खिलाफ था, न कि मिलिट्री ऑपरेशन। यानी इसमें पाकिस्तान के खिलाफ कोई जंग नहीं छेड़ी गई है, बल्कि उन आतंकी कैंपों को ध्वस्त किया गया है, जिनके खिलाफ जानकारी के बावजूद पाकिस्तान कोई कदम नहीं उठा रहा था। जिस तरह से चरमपंथियों, आईएसआई और सेना के आगे पाकिस्तान की निर्वाचित सरकार घुटने टेके रहती है, उसका ही नतीजा है कि वहां मसूद अजहर जैसे लोग पनपते और बढ़ते हैं।

काला धन, हवाला, क्रिप्टो करेंसी ये सारे कारोबार आतंकवाद की आड़ में अच्छे से फलते-फूलते हैं और हथियार लाबी इसका भरपूर इस्तेमाल करती है। इसलिए  दुनिया के कई देशों में कमजोर सरकारें बनाई जाती हैं, ताकि उन्हें कठपुतलियों की तरह नचाया जाता है । पाकिस्तान भी इन्हीं में से एक है। यह अफसोस की बात है कि पाकिस्तान सच को अनदेखा कर रहा है।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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