काला धन आ-जा भी रहा है, जुमलेबाजी भी जारी है ! | EDITORIAL by Rakesh Dubey

विदेश से देश में कालेधन की वापिसी जुमलेबाज़ी साबित हो चुकी है | सरकार सूचना के अधिकार पर भी कोई साफ़ बात न कहकर दायें-बाएं हो रही है | इसके विपरीत अमेरिका स्थित थिंक टैंक ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी (जीएफआई) के एक अध्ययन में दिये गये एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2005 से 2014 के बीच भारत में 770 अरब अमेरिकी डॉलर का कालाधन पहुंचा है। वैश्विक वित्तीय निगरानी संस्था ने बताया कि इसी समयावधि के दौरान देश से करीब 165 अरब अमेरिकी डॉलर की अवैध राशि बाहर भेजी गई है|

 इस जानकारी के साथ स्विस सरकार द्वारा जारी उस अधिसूचना की जानकारी भी जिसमे उसने भारत सरकार को सहयोग की पेशकश की है | स्विस राजपत्रित अधिसूचना के मुताबिक, स्विस सरकार का संघीय कर विभाग जियोडेसिक लिमिटेड और आधी एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के बारे में किए गए अनुरोधों पर भारत को 'प्रशासनिक सहायता' देने के लिए तैयार हो गया है। 

जियोडेसिक लिमिटेड से जुड़े तीन लोगों, पंकज कुमार ओंकार श्रीवास्तव, प्रशांत शरद मुलेकर और किरन कुलकर्णी- के मामले में विभाग ने इसी तरह के अनुरोध पर सहमति जताई है। हालांकि स्विस सरकार ने दोनों कंपनियों और तीनों व्यक्तियों के बारे में भारतीय एजेंसियों द्वारा मांगी गई जानकारी और मदद से जुड़े विशेष विवरणों का खुलासा नहीं किया है। इस तरह की 'प्रशासनिक सहायता' में वित्तीय और टैक्स संबंधित गड़बड़ियों के बारे सबूत पेश करने होते हैं और बैंक खातों और अन्य वित्तीयआंकड़े से जुड़ी जानकारियों शामिल होती हैं।

अब सवाल  विदेश से अब तक कितना कालाधन आया ? भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम के लिए चर्चित आईएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी ने जब पीएमओ से यह सवाल पूछा तो बताने से इनकार कर दिया गया| आरटीआई पर जवाब देने से बचने के लिए पीएमओ ने कानून की धारा ८  (१ )  (एच) के तहत दी गई छूट को ढाल बनाया| पीएमओ ने जानकारी देने से इनकार करते हुए आरटीआई के उस प्रावधान का हवाला दिया जिसमें सूचना का खुलासा करने से जांच और दोषियों के खिलाफ मुकदमा चलाने में बाधा उत्पन्न हो सकती है| यह हाल तबहै , जबकि केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने १६  अक्टूबर को एक आदेश में पीएमओ को १५ दिनों के भीतर काले धन का ब्यौरा मुहैया कराने के लिए कहा गया था|

दूसरी और सरकार का दावा है कि वो कालेधन के खिलाफ सख्ती देश में काम कर रही है |16 लाख से भी ज्यादा देशी और विदेशी कंपनियों पर निगाह बनाए हुए है। आतंकी फंडिंग या फिर कालेधन को सफेद करने की कारगुजारी पर अंकुश लगाने को केंद्रीय एजेंसियां लगातार राजस्व विभाग के संपर्क में रहती हैं। हकीकत काले धन की तरह काली है |
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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