हम किसकी माने राम ! | EDITORIAL by Rakesh Dubey

अयोध्या में कल फिर धर्म सभा हो गई। दशरथ नन्दन श्री राम की स्थापित होने वाली प्रतिमा की प्रतिकृति आ गई और चंद बयान भी आ गये। मसला जस का तस है। कोई नहीं बता रहा की राम मन्दिर कब बनेगा ? हिन्दुओं के स्वयं भू पैरोकार संघ अब भी अड़ने बात कह रहा है। कांग्रेस और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष मलिकार्जुन खड्गे शिवसेना के अयोध्या कूच का मजाक बना रहे हैं। प्रधानमंत्री इस मामले में कांग्रेस द्वारा रोड़े अटकाए जाने की बात कह रहे हैं। धर्म सभा के मंच से संघ के अखिल भारतीय सह सरकार्यवाह कृष्णा गोपाल ने कहा कि जो भी धर्मसभा का निर्णय होगा संघ उसे मानेगा। 

जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने बिना नाम लिए केंद्र सरकार के बड़े मंत्री का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने भरोसा दिलाया है कि ११ दिसंबर से १२ जनवरी तक होगा राम मंदिर पर बड़ा फैसला होगा। राम भक्त किसकी माने। अड़े लड़े या खड़ा रहे। वैसे रामलला फटे टेंट में हैं और ऐसे ही रहने की उम्मीद इन बयानों से निकलती है। सबको चौधरी बनाना है, अपनी चौधराहट कायम रखना है। इसके लिए ही कुछ भी कहते और करते रहे हैं और करते रहेंगे।

 संघ प्रमुख मोहन जी भागवत ने कहा है कि “मैं यह नहीं कहता कि आप धैर्य रखो और कोर्ट के निर्णय की प्रतीक्षा करो| एक साल पहले मैंने ही कहा था कि धैर्य रखो पर अब नहीं कह रहा  कि प्रतीक्षा करो|  हम ऐसा जोर लगाए कि भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिये जागरण हो |” सवाल यह है कि और कितने बरस जागरण  यह भी बता देते तो बेहतर होता ?

मोहन जी  भागवत ने यह भी कहा कि “सरकार कानून बनाए, इसलिए सरकार पर जन दबाव बनाए| समाज केवल कानून से ही नहीं चलता है, आस्था से भी चलता है| सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये हमारी प्राथमिकता नहीं है, कोर्ट को सोचना चाहिए. जनहित के मामले टालने का क्या अर्थ है, सत्य और न्याय को टालते रहे| श्री राम और श्री कृष्ण जोड़ने वाले है, भव्य मंदिर बनने के बाद सारे झगड़े समाप्त हो जाएंगे. जल्दी-जल्दी कानून बनना चाहिए|”  दूसरा सवाल क्या संघ को इस सबके लिए कोई रचना नहीं करना चाहिए ?  भाजपा में  टिकट बंटवारे से लेकर मंत्री कौन रहे कौन न रहे में दखल देने वाले संघ की सरकार क्यों नहीं सुनती ? क्योंकि संघ जोर से कहना नहीं चाहता | सरकार से  लाभ सबको मिलते हैं |

लोकसभा चुनाव में कुछ महीने बाकी हैं. ऐसे में अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर गर्माया जा रहा है| राम मंदिर को लेकर अयोध्‍या,पुणे और बेंगलुरु में धर्म सभायें हुई हैं | विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्‍या में रविवार को बड़ा भक्तमाल की बगिया में धर्मसभा की. इसके दो से तीन लाख रामभक्त अयोध्या पहुंचे| इस धर्मसभा के माध्यम से संत और धर्माचार्य राम मंदिर निर्माण की तारीख तय करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की| और अब  विश्व हिन्दू परिषद ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए उन्हें पूरी जमीन चाहिए| इसका अर्थ साफ है अब तक हुई सारी  बातें उसी जगह पहुंच गई, जहाँ से यह मसला अनिर्णीत खड़ा हुआ है | सुन्नी वक्फ बोर्ड जमीन पर मालिकाना हक वाला केस वापस लेना नहीं चाहता और दूसरे पक्ष के पास कागजात नहीं है | न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी, हाँ चुनाव में जरुर फायदा होगा |

शिवसेना के उद्धव ठाकरे ने रामलला के दर्शन किए और बीजेपी-कांग्रेस पर निशाना साधा तंज कसा “चुनाव के समय तो सब लोग राम-राम करते हैं और चुनाव बाद बस आराम करते हैं” | ये भी तो हिन्दुओं के पैरोकार हैं, कहते हैं कुछ किया अब तक ?  अब नये- नये हिन्दू हो रहे राहुल गाँधी के बोल-वचन का इंतजार है | राम लला टेंट में ही है |
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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