MPPSC: 15000 उम्मीदवारों के 1 करोड़ रुपए दबाए बैठे हैं अधिकारी

इंदौर। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के सभी कामों में तारीख की पाबंदी होती है। आवेदन भरने की तारीख, फीस जमा करने की तारीख, आपत्ति करने की तारीख, उम्मीदवार हर मामले तारीख से बंधा होता है परंतु आयोग ने खुद को तारीखों से बंधन से मुक्त किया है। यदि परीक्षा निरस्त हो जाए तो फीस वापसी की कोई तारीख का नियम ही नहीं है। 4 साल से 7000 और 2 साल से 8000 उम्मीदवार अपनी फीस वापस प्राप्त करने के लिए परेशान हो रहे हैं। अधिकारियों ने अब तक उनकी फीस वापस नहीं की है। 

मामला असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा का है जो 2 बार निरस्त हुई। एमपीपीएससी ने वर्ष 2014 व 2016 में असिस्टेंट प्रोफेसर की परीक्षा में अॉनलाइन फीस जमा कराने के बाद परीक्षा निरस्त कर दी थी। आवेदकों की फीस लौटाने के लिए अफसरों ने सालों बाद फरवरी 2018 में आयोग की वेबसाइट पर लिंक अपलोड की। इस लिंक पर आवेदकों ने एमपी ऑनलाइन के माध्यम से बैंक अकांउट, पंजीयन की जानकारी अपलोड की लेकिन आज तक फीस उनके अकांउट में नहीं पहुंची है।

2014 में स्लेट टेस्ट के कारण निरस्त हुई थी परीक्षा
2014 में पीएससी ने असिस्टेंट प्रोफेसर के 1650 पदों के लिए परीक्षा का विज्ञापन जारी किया। इस दौरान परीक्षा के लिए प्रत्येक आवेदक से 250 रुपए फीस जमा कराई थी। जिसमें करीब लगभग सात हजार आवेदकों ने परीक्षा का फार्म भरा था, लेकिन स्लेट टेस्ट नहीं होने के विवाद के कारण परीक्षा निरस्त कर दी गई।

2016 में नियमों के विरोध में निरस्त की गई थी
वहीं वर्ष 2016 में पीएससी ने असिस्टेंट प्रोफेसर के 1800 पदों के लिए परीक्षा विज्ञापन जारी किया था। जिसमें प्रत्येक आवेदक से 1250 रुपए फीस जमा कराई गई थी। इस दौरान करीब आठ हजार आवेदकों ने परीक्षा का फार्म भरा था। लेकिन नियमों के विरोध में आवेदक कोर्ट चले गए और पीएससी ने परीक्षा निरस्त कर दी। 

हां यह बात सही है कि फीस वापसी में दिक्कत आ रही है। सभी आवेदकों के बिल व डिटेल ट्रेजरी भेजने पड़ते हैं। हमारी कोशिश है कि सभी की फीस जल्द से जल्द उनके अकाउंट में पहुंच जाएं।
दिनेश जैन, सचिव, मप्र लोक सेवा आयोग
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