कैसे भारत में राज्य करना चाहते हैं ? | EDITORIAL by Rakesh Dubey

देश के विषय राजनीति में खोते जा रहे हैं। देश के सारे राजनीतिक दल चुनाव से अलग कुछ और नहीं सोचा पा रहे हैं। देश का हंगर इंडेक्स 2017 में और नीचे खिसक कर 100वें स्थान पर पहुंच गया, जबकि 2016 में यह 97वें स्थान पर था। वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2016 और 2017  के मद्देनजर पड़ोसी देशों की स्थिति भारत की तुलना में कहीं अधिक बेहतर है पिछले साल के आंकड़े के हिसाब से पाकिस्तान 107 स्थान के साथ भारत से कहीं अधिक पीछे है, अफगानिस्तान की स्थिति 111वें स्थान के साथ काफी खराब अवस्था में है। भारत में इसका नीचे खिसकने पर विचार राजनीति के कारण नहीं हो पा रहा है सबका ध्यान देश की राजनीति पर अधिक है।

बड़े मुद्दे क्या हैं ? इसका विश्लेषण करना जरूरी है। वैश्विक परिवेश भारत को अपने मुद्दे पुन: रेखांकित करना चाहिए। अभी तो देश के बड़े आयोजन राजनीति और चुनाव में ही उलझे हुए हैं। विश्व की 3 बड़ी समस्याओं में भुखमरी जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद है। जिसमें भूख प्रमुख है। दुनिया की लगभग साढ़े सात अरब की जनसंख्या में करीब सवा अरब भुखमरी से जूझ रही है। भारत, चीन के बाद जनसंख्या के मामले में दूसरा सबसे बड़ा देश है और यहां भी हर चौथा व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे है और इतने ही अशिक्षित है। भारत से भुखमरी भी पूरी तरह कहीं गयी नहीं है,मौजूद है।

डब्ल्यू.एच.ओ. की ताजी रिपोर्ट भी आ चुकी है जो कुछ कई मामलों में चौकाती है। आंकड़े इस बात को प्रमाणित कर रहे हैं कि दुनिया भर में प्रत्येक तीन में से एक महिला और हर चार में से एक पुरूष स्वस्थ रहने के मामले में सक्रिय नहीं रहते। उक्त परिप्रेक्ष्य इस बात को संकेत कर रहे हैं कि जितनी कमायी, उतने आलसी देश।आलस्य के चलते ही एक-तिहाई भारतीय बीमार हैं। सुखद यह है कि महिलायें पुरूषों से पीछे हैं ऐसे में घरेलू कामकाज उनकी सक्रियता की वजह से उतनी प्रभावित नहीं हुई । 168 देशों में कराये गये सर्वे के दौरान उक्त आंकड़ों को पाया गया। भारत में पांच बीमारियों को लेकर बड़ा  खतरा बताया गया है जिसमें दिल का दौरा, मोटापा, उच्च रक्तचाप, कैंसर और डायबिटीज शामिल है।

कई अन्य चुनौतियां जो भारत को कई मोर्चे पर बीमार और कमजोर दोनों कर सकती हैं। आंकड़े के मुताबिक साल 2045 तक 15 करोड़ से अधिक लोग डायबिटीज़ से पीड़ित होंगे, साल 2025  तक पौने दो करोड़ बच्चों में मोटापा का खतरा बढ़ जायेगा जबकि 40 प्रतिशत की दर से बढ़ रही उच्च रक्तचाप की समस्या कई कामकाजी लोगों के लिये अड़चन बनी हुई है। इतना ही नहीं 34 प्रतिशत दिल की बीमारी के मामले पिछले 25 सालों में बढ़े हैं। महिलाओं में बढ़ता स्तन कैंसर और भयावह होगा 2020 तक यह आंकड़ा 18 लाख से अधिक होने का है। इनसे कई बीमारियां भी उपजी हैं। 2030 तक शीर्ष 7 मौत के कारणों में डायबिटीज सबसे अव्वल बताया जा रहा है।

भारत में कई बीमारियां जड़ जमा चुकी हैं तो कई कगार पर खड़ी हैं। देश की प्राथमिकता क्या है? देश चुनावी बुखार से ग्रस्त है। देश को मुद्दों से भटकाया जा रहा है। क्या सारे राजनीतिक दल छिद्र अन्वेषी स्वभाव को त्याग नहीं सकते? लानत-मलामत की राजनीति को छोड कर श्रेष्ठ भारत के निर्माण में अपनी उर्जा नहीं लगा सकते। सोचिये ! कैसे भारत में राज्य करना चाहते हैं?
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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