भोपाल। दिनांक 3 अगस्त 2018 को मान सर्वोच्च न्यायालय में "पदोन्नति में आरक्षण" के 42 से अधिक प्रकरणों में सुनवाई करेगी। यह उल्लेखनीय है म.प्र. सहित अनेक राज्यों और स्वयं केंद्र शासन के "पदोन्नति में आरक्षण" के विभिन्न प्रकरणों में अलग अलग उच्च न्यायालयों ने मान सर्वोच्च न्यायालय के एम नागराज प्रकरण में जारी दिशा निर्देशों के प्रकाश में इन पदोन्नति नियमों के अन्तर्गत प्रावधानों को अनुसूचित जाति/ जनजाति को समानता का उल्लघंन करते हुए अतिरिक्त लाभ देने वाला पाया था और नियमों को खारिज कर दिया था।
मप्र, त्रिपुरा, बिहार के प्रकरणों की संयुक्त सुनवाई में एम नागराज प्रकरण में जारी दिशा निर्देशों की एक शर्त जो अनुसूचित जाति/ जनजाति के पिछड़ेपन से संबंधित है के लिए पुनर्विचार हेतु संविधान पीठ को भेजे जाने का निर्णय लिया था। इसी पर विचार हेतु दिनांक 3.08.2018 को संविधान पीठ में सुनवाई होना है। 5 जजों की संविधान पीठ मान मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा जी की अध्यक्षता में उक्त सुनवाई करेगी। पीठ के अन्य मान सदस्यों में जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रोहिंगटन नरीमन, जस्टिस कौल एवं जस्टिस इंदु मल्होत्रा जी होंगी।
वर्तमान में मप्र के प्रकरण में मान सर्वोच्च न्यायालय के यथास्थिति के अंतरिम आदेश के कारण न तो मान उच्च न्यायालय का निर्णय लागू किया जा सका है न ही अन्य कोई ऐसी प्रक्रिया शासन खोज सका है कि गतिरोध खत्म हो। विगत 2 वर्षों से अधिक समय से प्रदेश के सभी विभागों में पदोन्नतियां बाधित हैं। हजारों शासकीय सेवक बिना पदोन्नति का लाभ प्राप्त किए सेवानिवृत्त हो चुके हैं और वरिष्ठ खाली पदों पर शासन प्रभार से कार्य करा रहा है।
अधिकारियों/कर्मचारियों की संस्था सपाक्स जहां सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग के हितों के लिए इस मुद्दे पर संघर्ष कर रही है वहीं सरकार और अजाक्स मिलकर दूसरे पक्ष में हैं। प्रदेश में न केवल शासकीय तंत्र में पहली बार वर्ग संघर्ष इतना मुखर हुआ है बल्कि सपाक्स के प्रयासों से आरक्षण को लेकर व्यापक सामाजिक चेतना का वातावरण प्रदेश में उत्पन्न हुआ है। उम्मीद है सुनवाई शुरू होने से इस स्थिति का कोई सार्थक समाधान जल्दी निकल सकेगा।
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