भोपाल। पिछले दिनों हुए 67 तहसीलदार व नायब तहसीलदारों के तबादलों में गड़बड़ी सामने आई है। टंटे की जड़ मंत्रालय में दबी है। आरोप है कि तत्कालीन प्रमुख सचिव राजस्व अरुण पांडे ने मुख्यमंत्री को-ऑर्डिनेशन की मंजूरी के बिना ही तबादला आदेश जारी कर डाले। अब मुख्य सचिव बीपी सिंह ने तत्कालीन प्रमुख सचिव राजस्व अरुण पांडे से पूछताछ की है। साथ ही तबादलों की फाइल अपने पास बुलवा ली।
40 तहसीलदारों को मनमानी पोस्टिंग दी गई
बता दें कि ने अपने रिटायमेंट से एक दिन पहले 30 जुलाई को यह तबादला सूची जारी की थी। इस सूची में 40 नाम ऐसे थे, जिनका कुछ दिन पहले ही तबादला हुआ था और 30 जुलाई की सूची में ये ट्रांसफर संशोधित कर दिए गए। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि पांडे की ओर से मुख्य सचिव को कहा गया है कि मंत्री के अनुमोदन के बाद ही सूची जारी की गई। चुनाव आयोग की डेडलाइन थी कि 31 जुलाई तक तबादले कर दिए जाएं। इस बारे में मुख्य सचिव सिंह से पूछने पर उन्होंने अरुण पांडे से पूरे मामले में जानकारी लेने की पुष्टि की।
फोन पर बात करके तबादले कर दिए, फिर मंत्री को आदेश की कॉपी भेजी
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में ऐसा ही मामला सामने आया है। सागर कमिश्नर मनोहर दुबे ने विभाग के अपर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस से फोन पर बात करके सागर संभाग में चार जनपद सीईओ को एक अगस्त को इधर से उधर कर दिया। शैलेंद्र सिंह को निवाड़ी से जतारा, अखिलेश उपाध्याय को पृथ्वीपुर से टीकमगढ़, सचिन गुप्ता को जतारा से पृथ्वीपुर और पूजा जैन को टीकमगढ़ से निवाड़ी। इसके बाद आदेश की प्रति विभागीय मंत्री गोपाल भार्गव को भेजी गई।
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