
मेट्रो रूट के सिविल वर्क में एम्स से सुभाष नगर तक 6.225 किमी तक ओवरब्रिज जैसा स्ट्रक्चर बनाया जाएगा। इसमें अभी मेट्रो स्टेशन शामिल नहीं है, लेकिन स्टड फार्म पर बनने वाले डिपो से एंट्री और एक्जिट का काम इसमें शामिल है। भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट को अभी केंद्र सरकार की औपचारिक स्वीकृति नहीं मिली है, हालांकि पिछले महीने सैद्धांतिक सहमति मिल चुकी है। इसके साथ ही मेट्रो रेल कंपनी के पक्ष में जमीन भी ट्रांसफर होना है। इसके अलावा केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार भोपाल के मास्टर प्लान में टीओडी को शामिल करने की औपचारिकता भी अभी पूरी नहीं हुई है। केंद्र सरकार ने 10 लाख तक की आबादी वाले शहरों में मेट्रो की अनुमति देने की नीति तय की है इस हिसाब से भोपाल को अनुमति मिलने में कोई अड़चन नजर नहीं आती।
अन्य शहरों में भी काम की शुरुआत ऐसे ही
दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे सीबीके राव ने कहा कि दिल्ली और लखनऊ सहित अन्य सभी शहरों में काम की शुरुआत ऐसे ही हुई है। शुरुआत में छोटे रूट पर ही काम शुरू होता है और मेट्रो का पहला चरण चार साल में पूरा हो जाता है। राव ने दिल्ली मेट्रो का पहला चरण पूरा कराया था और दूसरे चरण का काम भी उन्हीं के कार्यकाल में शुरू हुआ था।
सात कंपनियां थीं दौड़ में
मेट्रो रूट के इस टेंडर में सात कंपनियों ने भाग लिया था। इनमें आईएलएफएस मुंबई, एप्को गुड़गांव, इफकॉन इंडिया मुंबई, गावर कंस्ट्रक्शन गुड़गांव, आरडीएफ कोच्ची, एनसीसी मुंबई और दिलीप बिल्डकॉन भोपाल शामिल हैं।
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