
गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने अधिकारियों को अपने जूनियर कर्मचारियों से घरेलू काम नहीं कराने का निर्देश दिया था और कहा था कि जो अधिकारी ऐसा करना जारी रखेंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. अधिकारियों ने बताया कि मंत्री के आदेश के बाद से गैंगमैन, ट्रैकमैन समेत करीब ग्रुप डी के 10 हजार रेल कर्मचारियों को वरिष्ठ अधिकारियों के घर से निकाला गया और उन्हें फिर से सुरक्षा और रख-रखाव कार्य में लगाया गया. जाहिर है, धर्मेंद कुमार और उनके 5 सहकर्मी उनमें शामिल नहीं हैं.
ट्रैकमैन कुमार ने 13 जुलाई को लिखी एक चिट्ठी में मंत्री को बताया कि उनके वरिष्ठ सेक्शन इंजीनियर राजकुमार वर्मा ने उन्हें और पांच अन्य ट्रैकमैन को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में स्थित रेलवे जिला मुख्यालय से करीब 500 मीटर की दूरी पर अपने निजी घर के निर्माण कार्य में लगाया था.
पत्र में कहा गया है कि अधिकारी ग्रेड- 4 के कर्मचारियों के साथ बंधुआ मजदूर जैसा व्यवहार करते हैं. उन्होंने रेलवे का काम करने के लिए नौकरी की है न कि अपने वरिष्ठ अधिकारियों की सेवा करने के लिए. अधिकारी ने इन कर्मियों को पिछले महीने अपने घर के निर्माण कार्य में लगा दिया, जब धर्मेंद्र ने मना किया तो अधिकारी की ओर से निलंबित करने की धमकी दी गई.
एजेंसी के मुताबिक धर्मेंद्र ने वरिष्ठ अधिकारियों सी भी इसकी शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. धर्मेंद्र ने निर्माण स्थल पर काम कर रहे रेलवे कर्मचारियों की एक वीडियो भी शूट किया है, जिसे उन्होंने रेल मंत्री को भेजे शिकायत पत्र के साथ अटैच भी किया है.