भोपाल। मंगलवार सुबह आठ बजे से शुरू हुई बारिश पंचशील नगर निवासी रोहित बंसल के परिवार पर कहर बनकर बरसी। रोहित का छह साल का बेटा भाग्य बंसल (डुग्गू) नाले में बह गया। हादसे के वक्त डुग्गू बारिश में नहाते हुए नाले के पास पहुंचा था। दोपहर करीब 11.15 बजे हुए घटना की सूचना पाकर मौके पर नगर निगम के गोताखोर आैर स्टेट डिजास्टर इमरजेंसी रिसपोंस फोर्स (एसडीईआरएफ) के जवान पहुंचे। दोनों एजेंसियों के गोताखोर देरशाम तक नाले में बच्चे को ढूंढते रहे, लेकिन उसका कहीं कोई सुराग नहीं लग सका।
रोहित बंसल न्यू मार्केट स्थित भारत गैस एजेंसी की गैस डिलीवरी वैन के ड्राइवर हैं। उनका छह वर्षीय छोटा बेटा डुग्गू और बड़ा बेटा 10 वर्षीय अरमान स्कूल जाने की तैयारी कर रहे थे। तभी बारिश तेज हो गई, दोनों पानी में नहाने लगे। डुग्गू घर के पीछे बहने वाले नाले का पानी देखने पहुंचा और सीढ़ियों पर उतरने लगा। तभी पानी का बहाव तेज हुआ आैर डुग्गू को बहा ले गया। बड़े भाई अरमान ने तत्काल परिजनों को घटना की सूचना दी। हादसे के बाद पंचशील नगर में अफरा-तफरी मच गई। परिजन और रहवासी नाले पर पहुंचे, लेकिन डुग्गू का कुछ भी पता नहीं लग सका।
तीन घंटे बाद बिना लाइफ जैकेट पहुंचे थे निगम के गोताखोर
डुग्गू के रिश्तेदार महेश जरेले ने बताया कि हादसे की सूचना तत्काल डायल 100 के साथ ही निगम के कॉल सेंटर पर भी दी गई। बावजूद इसके नगर निगम के गोताखोरों की टीम दोपहर दो बजे पहुंची। इस पर है लापरवाही की हद ऐसी की टीम के पास लाइफ जैकेट या अन्य कोई संसाधन नहीं थे। एक रस्सी के सहारे गोताखोर पानी में उतरे जरूर, लेकिन थोड़ी देर बाद ही सर्च अभियान रोककर नाले से बाहर निकल आए। दोपहर करीब ढाई बजे लाइफ जैकेट और ट्यूब आदि आने के बाद गोताखोरों ने नाले में उतरकर डुग्गू की तलाश शुरू की।
एकांत पार्क तक की सर्चिंग, नहीं लगा सुराग
निगम के गोताखोर पंचशील पुलिया से लेकर पत्रकार कॉलाेनी तक नाले में डुग्गू को तलाश कर रहे थे, जबकि एसडीईआरएफ टीम पत्रकार कॉलोनी से आगे लिंक रोड नंबर तीन तक नाले में डुग्गू को ढूंढ रह थी थी। कोई सुराग नहीं लगा तो एसडीईआरएफ की टीम एकांत पार्क के अंदर के हिस्से में नाले में सर्चिंग कर रही थी, लेकिन कोई सुराग नहीं लगा। आशंका जताई गई है कि डुग्गू बहकर मनीषा तालाब की अाेर गया होगा।
घुटने तक पानी, पत्थरों के बीच उतारी नाव
हादसे के बाद घबराए नगर निगम के अधिकारियों को कुछ सूझ ही नहीं रहा था। आनन-फानन में ढाई बजे एक नाव बुलाकर नाले में उतारी गई। जबकि, उस वक्त तक पानी काफी हद तक कम हो चुका था। महज घुटनों तक पानी और पथरीली सतह होने के कारण नाव चल ही नहीं पा रही थी। निगम के चार कर्मचारी नाव को हाथों से धक्का मारकर पानी में चला रहे थे।
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