जनता के मौन से बढ़ी कंपनियों की हिम्मत, 7वें दिन फिर दाम बढ़ाए

भोपाल। जनता की चुप्पी के चलते कंपनियों की मनमानी जारी है। सरकारी नियंत्रण से मुक्त पेट्रोल कंपनियों ने कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान एक भी बार दाम नहीं बढ़ाए थे परंतु भाजपा के हार जाने के बाद 7 दिन में 7 बार दाम बढ़ा दिए वो भी तब जबकि पेट्रोल-डीजल के दाम पहले से ही बहुत ज्यादा हैं। सोमवार 21 मई को पेट्रोल-डीजल के दाम रिकॉर्ड उच्च स्तर पर हैं। बता दें कि पीएम मोदी सरकार ने 2014 से अब तक पेट्रोल-डीजल पर 9 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई, जबकि सिर्फ 1 बार घटाई। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल 2013 में 112 डॉलर प्रति बैरल था, अभी 80 डॉलर है लेकिन दाम पहले कम थे, अब रिकॉर्ड स्तर पर हैं। 

तेल कंपनियों ने रविवार को पेट्रोल 33 पैसे और डीजल 26 पैसे महंगा किया। 16 जून 2017 से इनके दाम रोजाना तय किए जा रहे हैं। तब से एक दिन में यह सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। इससे रविवार को भोपाल में पेट्रोल 34 (81.87 रु.) और डीजल 27 पैसे (71.15 रु.) प्रति लीटर महंगा बिका। इतना ही नहीं, सोमवार को राजधानी में पेट्रोल 82.20 और डीजल 71.42 रुपए प्रति लीटर बिकेगा। यानी पिछले चौबीस घंटे में दाम क्रमश: 67 और 54 पैसे बढ़ गए। यदि कीमत बढ़ोतरी के पिछले सात दिन के आंकड़े देखें तो 14 मई को भोपाल में पेट्रोल 80.22 रु. प्रति लीटर बिका था। यानी 21 मई तक इसके दाम 1.98 रु. बढ़ गए। वहीं डीजल 69.42 रु. लीटर था, जो अब 2 रु. तक महंगा हो चुका है।

क्रूड ऑयल 2013 में 112 डॉलर प्रति बैरल था, अभी 80 डॉलर है

दिल्ली में पेट्रोल 76.24 रु. का हो गया। पिछला रिकॉर्ड 14 सितंबर 2013 का था, जब कीमत 76.06 रु. थी। तब क्रूड 112 डॉलर/बैरल था। जो अभी 80 डॉलर के करीब है। कंपनियां इंटरनेशनल बेंचमार्क रेट के हिसाब से दाम तय करती हैं। 24 अप्रैल को पेट्रोल का बेंचमार्क रेट 78.84 डॉलर/बैरल था। यह 7.8% बढ़कर 84.97 डॉलर हो गया है।

सरकार ने एक्साइज ड्यूटी 9 बार बढ़ाई, एक बार घटाई

नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के दौरान जब क्रूड ऑयल के दाम घट रहे थे, सरकार ने 9 बार में पेट्रोल पर 11.77 रु. और डीजल पर 13.47 रु. एक्साइज बढ़ाई थी। क्रूड महंगा होने पर सिर्फ एक बार, अक्टूबर 2017 में ड्यूटी 2 रु. प्रति लीटर घटाई। रविवार को पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने संकेत दिए कि पेट्रोल-डीजल पर ड्यूटी कम नहीं होगी।

तब 19 दिन तक नहीं बढ़ाए गए थे दाम

कंपनियों ने कर्नाटक चुनाव के दाैरान 24 अप्रैल के बाद 19 दिनों तक दाम नहीं बढ़ाए। 12 मई को वोटिंग हुई। 14 मई से कीमतें बढ़नी शुरू हुईं। तेल कंपनियां मार्जिन कर्नाटक चुनाव से पहले के स्तर पर ले गईं तो पेट्रोल 4.55 रु. तक और डीजल 4 रु. तक महंगा होगा।

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