श्रीमद डांगौरी/भोपाल। हां यह चौंकाने वाला है और इसे कुछ और भी संज्ञा दी जा सकती है परंतु राजनीति बदल रही है, यहां संभावनाओं की धरा पर सत्ता के महल खड़े हो रहे हैं और कांग्रेस में जिस तरह के फैसले हो रहे हैं उसके अनुसार कहा जा सकता है कि यदि राहुल गांधी का कर्नाटक वाला फार्मूला चला तो मप्र में बसपा की सरकार बन सकती है। जिसे कांग्रेस का समर्थन मिलेगा। यह इतिहास बनाने के लिए बसपा को मध्यप्रदेश में सिर्फ 37 सीटें जीतना है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ भी कह चुके हैं कि वो अकेले सरकार नहीं बना सकते। भाजपा को रोकने के लिए गठबंधन करेंगे।
कर्नाटक में क्या हुआ
कर्नाटक चुनाव में सब जानते हैं कि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई लेकिन बहुत से दूर है। क्या सही-क्या गलत, कौन सफल-कौन बिफल और किसकी सरकार यह विषय इस संदर्भ में उपयोगी नहीं है। काबिल-ए-गौर यह है कि 34 प्रतिशत सीटों पर कब्जा करने वाली कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए 16.5 प्रतिशत वाली जेडीएस को बिना शर्त समर्थन दे दिया। इसे ही फार्मूला राहुल कहा गया है। भाजपा को रोकने लिए जो भी करना हो, उचित है।
यह है मध्यप्रदेश की राजनीतिक शतरंज
अब इसे ऐसे समझिए, मध्यप्रदेश में कुल 230 सीटें हैं। कांग्रेस के पास मात्र 58 विधायक हैं और भाजपा के पास 160 से ज्यादा। भाजपा के करीब 70 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां जनता भाजपा विधायकों से काफी नाराज है। पार्टी की स्थिति नाजुक है। कांग्रेस अपना पूरा दम लगाएगी ही लेकिन जितना होगा उतना ही लगा पाएगी। जनता उसे पहले ही नकार चुकी है कि दिग्विजय सिंह का 'अंधेरा आज भी कायम है।' पिछले तीन विधानसभा चुनावों को देखें तो बसपा की ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, रीवा व सतना जिलों में दो से लेकर सात सीटों पर जीत हुई है। मगर भिंड, मुरैना, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, टीकमग़़ढ, छतरपुर, पन्ना, दमोह, रीवा, सतना की कुछ सीटों पर दूसरे स्थान पर रहकर पार्टी ने अपनी ताकत दिखाई है।
तो फिर बसपा की सरकार कैसे
यदि बसपा अपने प्रभाव वाले जिलों में तेजी से सक्रिय हो जाए।
गठबंधन के तहत कुल 80 सीटें कांग्रेस से हासिल कर ले जिनमें अपने प्रभाव वाली सीटों के अलावा वो सीटें भी हों जहां कांग्रेस बड़े अंतर से हारी या कांग्रेस लगातार तीन बार से हारती आ रही है।
मप्र में सोशल इंजीनियरिंग करे और इलाके के लोकप्रिय व्यक्ति को टिकट सौंप दे तो उसका टारगेट पूरा हो जाएगा। कांग्रेस की मदद से वो करीब 40 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है।
यदि ऐसा हुआ तो भाजपा और कांग्रेस दोनों ही बहुमत से दूर रह जाएंगे और भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए फार्मूला राहुल चला तो सरकार बसपा की।