CM के लिए बच्चों के शव वापस मंगवाए: श्रद्धांजलि की सियासत | NATIONAL NEWS

नई दिल्ली। राजनीति कितनी जालिम और अधिकारी कितने संवेदनहीन हो सकते हैं यह मामला इसका ताजा प्रमाण है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए स्कूल बस हादसे में मारे गए 23 बच्चों के शव परिजनों को सुपुर्द नहीं किए गए क्योंकि सीएम श्रद्धांजलि देने आ रहे थे। निष्ठुरता तो देखिए जिन परिजनों को बच्चों के शव सौंप दिए गए थे, उनसे भी शव वापस बुलवाए गए ताकि श्रद्धांजलि के दौरान गिनती में गड़बड़ी ना हो। 23 मासूमों की मौत पर यहां सीएम ने श्रद्धांजलि के नाम पर समारोह का आयोजन करवाया। पंडाल लगाया गया। माइक लगाए गए। मामला नूरपुर हादसे का है। 

समारोह पूर्वक दी गई श्रद्धांजलि
बच्चों को श्रद्धांजलि देने के नाम पर यहां मंच बनाया गया। पंडाल-माइक-स्पीकर आदि सारी व्यवस्था कर दी गई। लोगों को ये कहकर रोका गया कि सीएम फौरी राहत के चेक बांटेंगे। 23 बच्चों समेत 27 मौतों के बाद प्रशासन कितना लापरवाह रहा, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रात को सवा 3 बजे सिविल हॉस्पिटल में सिर्फ दो नर्सें उन चार बच्चों की देखभाल में जुटी थी जो हादसे में जिंदा बचे थे। लेकिन, सुबह दर्जनों सरकारी गाड़ियाें में भरे लोग सीएम के आने की तैयारियों में जुट गए।

बच्चों की लाशों पर श्रद्धांजलि की सियासत
सुबह 7:36 बजे सभी बच्चों, टीचर्स और ड्राइवर का पोस्टमार्टम हो गया था। केंद्रीय मंत्री जेपी नड्‌डा सुबह 8:40 बजे गग्गल एयरपोर्ट पहुंचे। उन्हें वहां सीएम जयराम ठाकुर का इंतजार करना पड़ा। ठाकुर 9:40 बजे पहुंचे और 10:24 बजे दोनों नूरपुर हॉस्पिटल पहुंचे। ठाकुर मंडी के सर्किट हाउस से चले थे। वहां 8:03 बजे उन्होंने लोगों से मुलाकातें शुरू कीं। 9:15 बजे क्रिकेटर ऋषि धवन से भी मिले। 8:47 बजे सीएम पड्‌डल के लिए निकले। वहां हेलिकॉप्टर इंतजार कर रहा था। इधर, नूरपुर में सुबह 6 बजे से ही बच्चों के परिवार अस्पताल के बाहर जुट गए थे। मौसम खराब था और हल्की बूंदाबांदी भी हो रही थी। इसलिए परिजन चाहते थे कि शव जल्दी उन्हें सौंपे जाए। लेकिन, अस्पताल में प्रशासन का कोई अफसर नहीं था। पोस्टमार्टम के दौरान एक-एक परिवार को मॉर्चरी में ले जाया गया, ताकि वे शिनाख्त कर सकें। तभी डीसी संदीप कुमार कुछ अफसरों के साथ पहुंचे। वे निर्देश दे रहे थे कि सीएम के आने पर शवों को कैसे निकाला जाना है। कौन क्या जिम्मेदारी देखेगा वगैरह-वगैरह। 

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