
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में 11 मार्च 2014 को हुए नक्सली हमले में 11 जवान शहीद हुए थे। इस हमले में सिर्फ मुरैना जिले के तस्समा गांव के रहने वाले सीआरपीएफ के जवान मनोज सिंह तोमर गंभीर रूप से घायल हुए थे। उन्हें 7 गोलियां लगी थीं। घटना के बाद जवान को रायपुर के नारायणा अस्पताल में भर्ती किया गया था लेकिन यहां उन्हें राहत नहीं मिली, डॉक्टरों ने ऑपरेशन किया और उनकी आंतें पेट से बाहर लटका दी। मनोज पिछले चार साल से अपनी आंतों को थैली में बांधकर जीने को मजबूर थे। मनोज कई अधिकारियों और नेताओं से मिलकर मदद की गुहार लगा चुके थे। मनोज ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की थी लेकिन आश्वासन के बाद भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली थी। मनोज ने अपनी 16 साल की सेवा अवधी में सीआरपीएफ और एसपीजी कमांडो के तौर पर काम किया है।
मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान
मानवाधिकार आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए 27 मार्च को यूनियन होम सेक्रेटरी को नोटिस जारी कर 4 हफ्तों के भीतर पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है। एनएचआरसी ने एम्स दिल्ली से भी जवाब मांगा था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि यह सीधे तौर पर सम्मान पूर्वक जीने के अधिकार और स्वास्थ्य सुविधाओं के हनन का मामला है। आयोग ने कहा है कि इस तरह की घटनाओं से जवानों का मनोबल कम होगा, जो सही नहीं है।