पॉलिथिन में आतें भरकर भटक रहा है मप्र का जांबाज सैनिक | NATIONAL NEWS

भोपाल। सीआरपीएफ जवान मनोज तोमर यदि नक्सली हमले में शहीद हो जाता तो उसके परिवार को 1 करोड़ रुपए मिलता परंतु पेट में 7 गोलियां धंस जाने के बाद भी जिंदा रहने वाले जांबाज की फिक्र किसी सरकार को नहीं है। वो छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए तैनात था। 2014 में नक्सलियों ने हमला किया और मनोज को 7 गोलियां लगीं। सरकारी अस्पताल में गोलियां तो निकाल दी गईं परंतु पेट की आतें वापस पेट में डालकर टांके नहीं लगाए। अब मनोज पॉलिथिन में आतें भरकर घूम रहा है। मनोज मध्यप्रदेश के मुरैना स्थित तरसमा गांव का रहने वाला है। 

दरअसल, 11 मार्च 2014 को मनोज छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के दोरनापाल थाने में थे, उस दौरान वहां नकस्लियों ने हमला कर दिया। इस हमले में तोमर गंभीर रूप से घायल हो गए थे, उन्हें पेट में सात गोलियां लगी थीं। इलाज करके तोमर की जान तो बचा ली गई, लेकिन अच्छे इलाज के अभाव में उनकी आंतें पेट में दोबारा नहीं डाली गईं, उसके बाद से ही तोमर पॉलीथीन में आंत रखकर जीवन जीने के लिए विवश हो गए। साथ ही हमले के दौरान गोली लगने के कारण तोमर की एक आंख भी खराब हो गई।

रिपोर्ट्स के मुताबिक उनकी आंख की रोशनी फिर से आ सकती है और आंत भी दोबारा पेट में डाली जा सकती हैं, लेकिन इसके लिए करीब 5 से 7 लाख रुपए की जरूरत है। मनोज के पास इतने पैसे नहीं है, यही कारण है कि वह पिछले चार सालों से इतना कष्टदायक जीवन जीने को मजबूर हैं। सीआरपीएफ के नियम के मुताबिक जवानों का केवल अनुबंधित अस्पतालों में ही इलाज कराया जा सकता है। किसी अन्य अस्पताल में इलाज का खर्च जवान को ही उठाना पड़ता है।

मनोज का कहना है कि उन्हें सीआरपीएफ से कोई शिकायत नहीं है। उन्हें सरकार और उसके नियमों से शिकायत है। सरकार के नियम के मुताबिक तोमर छत्तीसगढ़ में घायल हुए थे, इसलिए उनका इलाज सीआरपीएफ के अनुबंधित रायपुर के नारायणा अस्पताल में ही हो सकता है। एम्स में उनका इलाज कराने का प्रबंध केवल सरकार ही करवा सकती है। वहीं उनकी आंख का इलाज चेन्नई के अस्पताल में ही हो सकता है, इसका इंतजाम भी केवल सरकार ही करवा सकती है। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक दोरनापाल थाना क्षेत्र में हुए हमले में मनोज तोमर की टीम के 11 जवान शहीद हो गए थे, केवल वह ही जिंदा बचे थे। गंभीर रूप से घायल होने के कारण उस वक्त तोमर की आंत को पेट में नहीं डाला गया और कुछ हिस्से को बाहर रखा गया। आपको बता दें कि मनोज तोमर को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के द्वारा 5 लाख रुपए देने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन आज तक उन्हें मदद नहीं मिली।
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