भोपाल, 16 दिसंबर 2025: मध्य प्रदेश सरकार के डिप्टी सीएम श्री राजेंद्र शुक्ल ने आज कैबिनेट मीटिंग के निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्री परिषद ने कर्मचारी पद का वर्गीकरण बदल दिया है। अब अस्थाई और स्थाई कर्मचारियों के बीच का भेद खत्म हो गया है। उन्होंने जो बताया उसके अनुसार निम्न स्थिति स्पष्ट होती है:-
पहले क्या था?
प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को करीब 10 अलग-अलग कैटेगरी में बांटा जाता था – जैसे नियमित (permanent), संविदा (contractual), आउटसोर्स (outsourced), पार्ट-टाइम, दैनिक वेतन भोगी और कुछ अन्य प्रकार। इन अलग-अलग कैटेगरी की वजह से कर्मचारियों को काफी दिक्कतें आती थीं। मसलन, सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन, प्रोबेशन पीरियड पूरा करने में समस्या, अलग-अलग नियमों से भत्ते या सुविधाओं में अंतर, और कुल मिलाकर एक तरह की असमानता महसूस होती थी। कई कर्मचारी संगठन लंबे समय से इस भेदभाव को हटाने की मांग कर रहे थे, क्योंकि इससे उनका मनोबल गिरता था और काम में भी असुविधा होती थी।
अब क्या बदलाव हुआ?
कैबिनेट ने फैसला किया कि इन 10 कैटेगरी को घटाकर सिर्फ 5 कर दिया जाए। इसमें मुख्य रूप से नियमित, संविदा, आउटसोर्स्ड, पार्ट-टाइम जैसी जरूरी कैटेगरी ही रहेंगी, और बाकी अनावश्यक श्रेणियां हटा दी गईं। ये बदलाव सभी विभागों की सहमति से लागू होगा। सबसे बड़ी बात, अस्थायी और स्थायी के बीच का अंतर अब नहीं रहेगा, मतलब कर्मचारियों को एक समान सुविधाएं और सुरक्षा मिलेगी। ये फैसला कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को देखते हुए लिया गया है।
ये फैसला सिर्फ नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़ा नहीं है, बल्कि मौजूदा कर्मचारियों की सेवा शर्तों को बेहतर बनाने वाला है। इसी मीटिंग में वन विज्ञान केंद्रों की स्थापना और अन्य विकास परियोजनाओं पर भी मंजूरी मिली, लेकिन कर्मचारी वर्गीकरण वाला ये पॉइंट खास तौर पर सरकारी मुलाजिमों के लिए खुशखबरी है।
मध्य प्रदेश शासन की ओर से आधिकारिक जानकारी में बताया गया है कि: मंत्रि-परिषद ने राज्य शासन के विभिन्न विभागों में स्वीकृत स्थायी और अस्थायी पदों के विभेदीकरण को समाप्त करने के लिए स्वीकृति प्रदान की गई है। वर्तमान स्वीकृत अस्थायी पदों को स्थायी पदों में परिवर्तित करने के लिए सेवा भर्ती नियम में आवश्यक प्रावधान करने की स्वीकृति दी गई। कार्यभारित और आकस्मिक स्थापना के सभी पदों को सांख्येतर घोषित कर इन पदों पर नवीन नियुक्ति न करने की भी अनुमति दी गई।
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