मप्र: सागर में सती हो गई महिला, किसी ने नहीं रोका | NATIONAL NEWS

भोपाल। सती प्रथा को 1829 में गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था। इससे पहले राजा रामोहन राय ने सतीप्रथा के खिलाफ अभियान चलाया था। आजादी के बाद सती प्रथा रोकथाम एवं निवारण के लिए कठोर कानून बनाया गया। इसके तहत सतीप्रथा के मामले सामने आने पर संबंधित समाज, पंचायत एवं परिवारजनों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। करीब 190 साल बाद मप्र के सागर में सतीप्रथा का मामला सामने आया है। कहा जा रहा है कि एक महिला ने अपनी पति की मौत की खबर सुनते ही चौकी सजाई, सुहागन वाला पूरा श्रृंगार किया और हाथजोड़कर बैठ गई एवं खुद को आग लगा ली। उसे बचाने का कितना प्रयास हुआ या नहीं, यह तो जांच में पता चलेगा। फिलहाल जानकारी यह है कि महिला की मृत्यु हो गई। पति पत्नि का अंतिम संस्कार एक साथ किया गया। 

जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश के सागर जिले में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। मामला सागर जिले के खुरई के पिपरिया गांव का है। यहां रहने वाले बलबीर सिंह राजपूत की दिल की बीमारी के बाद निधन हो गया। बलबीर की शनिवार रात को अचानक तबीयत बिगड़ी और इलाज के लिए सागर ले जाने के दौरान रास्ते में उनकी मौत हो गई।

परिजनों ने बताया कि बलबीर को अपनी मौत का अहसास हो गया था। इस वजह से उन्होंने सागर के लिए इलाज के लिए ले जाने के दौरान पत्नी से कहा था, 'अब मैं जा रहा हूं।' रामवती ने जवाब दिया है कि आप चलो मैं भी पीछे से आ रही हूं।

परिजन बताते है कि पति की मौत के बाद रामवति ने संयम नहीं खोया। उसने अपने सभी परिजनों को दिलासा दिया। बिलासपुर में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे बेटे से फोन पर बात की। इसी दौरान देवरानी की तबीयत बिगड़ी तो सब उन्हें अस्पताल ले जाने की तैयारी करने लगे। इसी दौरान रामवती ने सबकी नजरें बचाकर दुल्हन की तरह पूरा श्रृंगार किया। फिर बाथरूम में जाकर कपड़ों का ढेर से एक आसान बनाया और हाथ जोड़कर खुद को आग के हवाले कर दिया। आसन पर हाथ जोड़े बैठे ही रामवति की मौत हो गई।

रामवति के इस कदम को उठाने के बाद बलबीर की अंत्येष्टि को रोक दिया। पूरे मामले की पुलिस की तरफ से पड़ताल होने के बाद बलबीर और रामवति की अर्थी एक साथ उठी और दोनों का अंतिम संस्कार भी साथ में किया गया।

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