भोपाल के कहानीकार अरुण अर्णव खरे पुरुष्कृत | arun arnaw khare

सुलतानपुर। स्थानीय जिला पंचायत सभागार में 'कथा समवेत' पत्रिका द्वारा आयोजित "माँ धनपती देवी स्मृति कथा साहित्य प्रतियोगिता-2017" में भोपाल के कहानीकार अरुण अर्णव खरे को अंगवस्त्र, धनराशि, सम्मानपत्र एवं स्मृति चिह्न प्रदान करके सम्मानित किया गया। उनके साथ ही आज़मगढ़ की डॉ सोनी पाण्डेय तथा होशंगाबाद के गोपाल नारायण आप्टे को भी सम्मानित किया गया। आयोजन समारोह की अध्यक्षता पूर्व उप पुलिस अधीक्षक ज्वाला प्रसाद पाण्डेय ने की। इस कार्यक्रम के आयोजक  कथा समवेत के सम्पादक डॉ0 शोभनाथ शुक्ल ने समारोह में आये अतिथियों एवं कहानीकारों का परिचय दिया। 

इस अवसर पर बोलते हुए श्री अरुण अर्णव ख़रे ने कहा पारिवारिक रिश्ते  आजकल टूटने के कगार पर हैं। पुरुष्कृत कहानी मकान बुजुर्गों के एकाकीपन और अपनो ये रिश्ते टूटने की मनोदशा का चित्रण है। चयनित कहानीकारों के सम्मान के पश्चात समय समाज और साहित्य पर सोशल मीडिया का हस्तक्षेप विषय पर एक सार्थक बहस हुई।विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ शोभनाथ शुक्ल ने कहा हस्तक्षेप का तात्पर्य कहीं न कहीं जबरदस्ती भी है। हम नहीं चाहते तब भी उसकी गिरफ्त में आ जाते है।सोशल मीडिया कई स्थानों पर उपयोगी है तो इससे तमाम आपराधिक प्रवृतियां भी फैल रही हैं।

प्रसिद्ध आलोचक रघुवंशमणि ने विस्तार से इस विषय पर बोलते हुए कहा-सोशल मीडिया ने संवाद के क्षेत्र में एक नई क्रांति पैदा की है लेकिन यह एक दोधारी तलवार की तरह है इसका उपयोग दुष्प्रचार के लिये अधिक हो रहा है यह चिंतनीय है। उन्होंने आगे कहा कि तकनीक हमारी सामर्थ्य को बढ़ाती है तो हमारी कार्यक्षमता बढ़ती है लेकिन सवाल यह है कि क्या सोशल मीडिया का प्रयोग सकारात्मक हो रहा है? इस विषय पर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह'रवि' ने कहा -'सोशल मीडिया आधुनिक युग की नई ऊर्जा है ।इसका उपयोग सकारात्मक व नकारात्मक ढंग से बखूबी हो रहा है यह उपयोगकर्ता पर निर्भर है कि वह किस ओर जाता है। 

इस सत्र का संचालन डॉ करुणेश भट्ट ने किया। समारोह के द्वितीय सत्र में 'कथा समवेत' पत्रिका के दिसम्बर अंक और चित्रेश के कहानी संग्रह 'अंधेरे के बीच' का विमोचन डॉ आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप, डॉ रघुवंशमणि, वीरेंद्र कुमार त्रिपाठी, संगीता शुक्ला,अवनीश त्रिपाठी, मथुरा प्रसाद सिंह जटायु, सोनी पाण्डेय, डॉ गोपाल नारायण आप्टे एवं अरुण अर्णव खरे,ममता सिंह,रश्मि शील द्वारा हुआ। आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए डॉ शोभनाथ शुक्ल ने कहा कि ये कहानी प्रतियोगिता और सम्मान समारोह कहानी के अच्छे भविष्य की ओर संकेत करता है।अन्य विधाओं के मुकाबले कहानी लोगों की ज़ेहन में अच्छा प्रभाव छोड़ती है।सैकड़ों श्रोताओं की उपस्थिति इसका सजीव प्रमाण है।
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