
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता श्री केके मिश्रा ने यह मामला उठाया है। उन्होंने कलेक्टर सतना नरेश पाल द्वारा पत्र क्रमांक 762, दिनांक 8 सितम्बर, 17 को जारी एक तबादला आदेश की फाटो जारी करते हुए बताया कि इसमें पंडित दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीर लगी हुई है जो घोर आपत्तिजनक है। उन्हे स्पष्ट करना चाहिए कि वो एक लोकसेवक हैं या भाजपाई विचारधारा के स्वामी भक्त?
बता दें कि शासन के कर्मचारी/अधिकारियों के आचरण के लिए भी नियमावली होती है। वो शासकीय सेवा में रहते हुए राजनीतिक गतिविधियों में भाग नहीं ले सकते और ना ही किसी राजनीतिक व्यक्ति या दल का समर्थन या विरोध कर सकते हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय भाजपा के लिए पूज्यनीय नेता हैं परंतु वो भारत के किसी भी संवैधानिक पद पर नहीं है। इस तरह के पत्रों में यदि कोई फोटो होता है तो वो शासन का पहचान चिन्ह होता है। आईएएस अफसर अक्सर अशोक चिन्ह का उपयोग करते हैं।
श्री मिश्रा ने यह भी कहा है कि यह वे ही कलेक्टर हैं, जिन्होंने कुछ दिनों पूर्व चित्रकूट विधानसभा उपचुनाव के पूर्व भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए वहां की विभिन्न स्थानीय समस्याओं और उनके निराकरण हेतु उचित कार्यवाही किये जाने को लेकर प्रमुख सचिव को पत्र लिखते हुए भाजपा के पक्ष में अपनी निष्ठा का स्पष्ट संकेत दे दिया था! लिहाजा, यह भी आवश्यक है कि चित्रकूट में होने वाले उपचुनाव के पूर्व निष्पक्ष मतदान प्रक्रिया के संपादन हेतु उन्हें समय के पूर्व ही इस पद से हटाया जाये।
इस संदर्भ में कलेक्टर नरेश पाल का पक्ष जानने हेतु संपर्क किया गया परंतु उनके सहायक जनसंपर्क अधिकारी राजेश सिंह समन्वय स्थापित नहीं कर पाए।