
सरकार के कई वरिष्ठ अफसर उन्हें मनाने में जुटे हुए हैं। जस्टिस पांडे अब इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। सूत्रों की मानी जाए तो पांडे ने कुछ मामलों को लेकर सरकार से पत्राचार किया था, लेकिन सरकार ने उनके पत्रों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी। नतीजे में जस्टिस पांडे ने आगे जांच करने से इंकार करते हुए आयोग से इस्तीफा दे दिया है।
वे प्रोफेसर कॉलोनी स्थित सर्किट हाउस के कमरा नम्बर 10 में रुके थे। कल शाम को उन्होंने कमरा छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने सरकारी गाड़ी भी वापस कर दी। जस्टिस पांडे के इस्तीफे के बाद अब भोपाल एनकाउंटर की जांच फिलहाल अधर में लटक गई है। उधर जस्टिस पांडे को मनाने के लिए कई अफसर जुट गए हैं, लेकिन फिलहाल उन्होंने तबीयत खराब होने का हवाला देकर किसी से बात नहीं की है।
6 फरवरी को खत्म हो रहा था कार्यकाल
सिमी एनकाउंटर पर बने आयोग की मियाद 6 फरवरी को खत्म हो रही है। शासन ने सात नवम्बर को आयोग का गठन किया था। जांच के लिए तीन महीने का वक्त निर्धारित किया था। तीन माह कल पूरे हो रहे हैं।
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