Soham Nashamukti Kendra: टॉयलेट में बिठा खाना खिलाते, प्राइवेट पार्ट में टूथपेस्ट

ग्वालियर। सोहम नशा मुक्ति केंद्र में अंग्रेजों की जालिम जेल से भी ज्यादा रूह कंपा देने वाली यातनाएं दी जातीं थी। परिजन 10 हजार रुपए महीने और दवाओं के पैसे देकर जाते थे। सोचते थे, मनोवैज्ञानिक तौर पर इलाज चल रहा है परंतु यहां उनके साथ वो व्यवहार होता था जो एक इंसान तो कभी कल्पना ही नहीं कर सकता। मरीजों को खूंखार कैदियों की तरह बांधकर रखा जाता था। 

शुक्रवार को पुलिस आैर जिला प्रशासन की टीम ने छापा मारा तो वह हैरान रह गई। कार्रवाई में केंद्र से 53 युवकों को छुड़ाया गया। कलेक्टर डॉ. संजय गोयल को सागरताल रोड पर अवैध रूप से सोहम नशा मुक्ति केंद्र चलने की शिकायत मिली थी। बता दें कि इसे गाजियाबाद का राहुल चौधरी और कपिल गर्ग चलाते हैं। सोहम नशा मुक्ति केंद्र में इलाज के नाम पर युवाओं को लंबे वक्त से रूह कंपाने वाली यातनाएं दी जा रही थीं। इन्हें कभी रस्सी से बांधकर लटकाया जाता था कभी टॉयलेट में खाना खाने को मजबूर किया जाता था। केंद्र के संचालक उन्हें नशा छुड़वाने के नाम पर मारपीट करते थे। मुक्त हुए युवाओं के शरीर पर चोट के निशान इसे कन्फर्म करते हैं।

बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे इस सेंटर पर दो साल से नशा मुक्ति के नाम पर ज्यादती हो रही थी पर पुलिस व प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। यहां इलाज करा रहे युवकों को उनके परिवार से भी मिलने नहीं दिया जाता था। जबकि घरवालों से 10 हजार रुपए महीना और दवा के पैसे लिए जाते थे। यहां अमानवीयता की खबर कुछ समय पहले कलेक्टर डॉ. संजय गोयल तक पहुंची थी। इसके बाद ही ज्वाइंट टीम बनाकर शुक्रवार शाम जांच की गई। युवकों ने बताया, केंद्र के संचालक उनके साथ मारपीट करते हैं। टॉयलेट के पॉट में लगी गंदगी को नाखूनों से खुरचवाकर साफ करवाते थे। रस्सी बांधकर रात भर लटकाकर मारते थे। कुछ युवकों ने बताया कि नाजुक अंग में टूथ पेस्ट का खाली पाउच तक डाल दिया जाता था। युवकों ने यह भी बताया कि आए दिन खाना नहीं देना, भूखा रखना और टॉयलेट में खाना खाने को मजबूर किया जाता था।

इस पूरे मामले पर प्रशासन ने कहा है कि नशा मुक्ति केंद्र के संचालक राहुल चौधरी और कपिल गर्ग के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सोहम नशा मुक्ति केंद्र के संचालकों पर हत्या का आरोप भी लगा है। झांसी निवासी सचिन पाठक यहां पर इलाज के लिए आया था। उसकी 12 अप्रैल को मौत हो गई। केंद्र के संचालक पुलिस को बताए बिना शव झांसी छोड़ आए थे। सचिन के शव पर चोट के निशान देख परिजनों ने हत्या का आरोप लगाते हुए झांसी पुलिस को मामले की सूचना दी थी। इसके बाद पुलिस ने संचालकों को हिरासत में लिया था। फिलहाल इस मामले की जांच चल रही है।
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