
शहडोल जिले के निवासी आशीष पाण्डे के पिता करकेली जनपद पंचायत में लेखा अधिकारी व मां सुषमा पाण्डे हाउसवाइफ हैं। अपनी इस सफलता को उन्होंने अपने माता-पिता का आशीर्वाद और पत्नी गरिमा पांडे व ससुर जेपी तिवारी की प्रेरणा का नतीजा बताया।
श्री आशीष के अनुसार उनका लक्ष्य डिप्टी कलेक्टर बनने का था, जो अब पूरा होने जा रहा है। सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट में निरीक्षक के रूप में सेवाएं दे रहे आशीष पाण्डे के मुताबिक अपने लक्ष्य को नौकरी में रहते हासिल करना बड़ी चुनौती थी, लेकिन टाइम मैनेजमेंट के चलते उन्होंने आज ये सफलता हासिल की है।
ये है सक्सेस मंत्रा
अपना सक्सेस मंत्रा शेयर करते हुए आशीष पाण्डे ने बताया कि उन्होंने इस चयन के लिए विषयों की पढ़ाई क्वांटिटी नहीं बल्कि क्वालिटी के आधार पर की। चुनिंदा टॉपिक्स पर खास फोकस रहा। उनका बार-बार रिवीजन किया। समसामयिकी से हमेशा जुड़ा रहा।
ऐसा रहा टाइम मैनेजमेंट
आशीष के अनुसार एक्साइज डिपार्टमेंट में 8 घंटे सेवाएं देने के बाद वे घूमने-फिरने के बजाय पढ़ते थे। घर में उनकी पत्नी भी पढ़ाई के लिए प्रेरित करती थी। वे बताते हैं कि गर्मी के मौसम में पढ़ाई के वक्त वे पंखा-कूलर बंद कर देते थे जबकि ठंड के सीजन में वे स्टडी रूम को हमेशा ठंडा बनाए रखते थे, ताकि उन्हें नींद न आए और अधिक से अधिक वे पढ़ाई कर सकें। इस तरह उन्होंने प्रतिदिन नौकरी के साथ 4 से 6 घंटे तक पढ़ाई की। हिन्दी साहित्य से एमए आशीष पाण्डे ने पीएससी में हिन्दी के अलावा समाजशास्त्र को मुख्य विषय के रूप में रखा था।
पहले प्रयास का रिजल्ट बाकी, दूसरे में चयन
डिप्टी कलेक्टर के रूप में चयनित आशीष पाण्डे का ये दूसरा प्रयास था। श्री पाण्डे के अनुसार उनका चयन 2013 की पीएससी परीक्षा में हुआ है। जबकि 2012 की पीएससी का रिजल्ट अभी पैंडिंग है।